महिला एवं बाल विकास विभाग में डेढ़ करोड़ से ज्यादा का गबन, 94 कर्मचारियों, खाताधारकों के खिलाफ क्राइम ब्रांच में FIR दर्ज

महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों पर सांठगांठ कर दोगुना वेतन और भत्ते जमा करने की मिली थी शिकायत, जानकारी छिपाने और सरकारी धन के निजी उपयोग का लगा है आरोप, साल 2015 से 2016 का है मामला, तत्कालीन आयुक्त ने जांच के बाद की थी क्राइम ब्रांच में शिकायत

Updated: Jun 16, 2021, 06:21 AM IST

Photo courtesy: iPleaders
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भोपाल। क्राइम ब्रांच ने महिला एवं बाल विकास विभाग के 94 कर्मचारियों और खाता धारकों के खिलाफ FIR दर्ज की है। कर्मचारियों और खाता धारकों पर डेढ़ करोड से ज्यादा के गबन आरोप है। इस मामले में विभाग के दो एकाउंटेट्स के साथ 94 खाताधारक कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों पर सांठगांठ कर दोगुना वेतन और भत्ते जमा करने की शिकायत मिली थी। आरोपियों ने विभाग से इसकी जानकारी छिपाई और इस रकम की उपयोग अपने व्यक्तिगत खर्चों में किया। इस मामले की जांच तत्कालीन आयुक्त द्वारा की गई थी, जिसके बाद क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज की गई थी। क्राइम ब्रांच ने जांच में पाया कि वर्ष 2015 से 2016 के बीच की यह हेराफेरी की गई है। इस मामले में जांच जारी है।

यह मामला 2015 से 2016 के बीच का है, जहां विभागीय ऑडिट में डेढ़ करोड़ के गबन का मामला सामने आया था। इस मामले की जांच लंबे वक्त से चल रही थी। अब क्राइम ब्रांच ने 94 सरकारी कर्मचारियों और खाताधारकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

इस मामले की शिकायत महिला बाल विकास की तरफ से लेखा इंचार्ज शहजाद खान ने तीन महीने पहले क्राइम ब्रांच में की थी। इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच ने पाया कि महिला बाल विकास विभाग के सभी तरह से कर्मचारियों के खाते में 2015-16 के दौरान दोगुना वेतन डाला गया। इसमें अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ प्रोजेक्ट आफिसर भी शामिल हैं। इस ज्यादा वेतन और धन राशि के बारे में किसी कर्मचारी द्वारा विभाग को नहीं बताया गया, और न ही धन राशि लौटाई गई। जब विभाग ने जांच और ऑडिट कराया तब मामले की खुलासा हुआ। इस धोखाधड़ी के आरोप में क्राइम ब्रांच ने आरोपी लेखापाल काशी प्रसाद, सिराज खान समेत 94 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। क्राइम ब्रांच से मिली जानकारी के अनुसार धोखाधडी की रकम और बढ़ने की संभावना है। क्राइम ब्रांच की मानें तो कोषालय के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। फिलहाल मामले की जांच में जारी है।