Corona in Jabalpur: डॉक्टर ने खोली सरकारी अस्पतालों की पोल, कोरोना रिपोर्ट आने के पहले ही मरीजों की मौत

Corona Updates: पूर्व IMA अध्यक्ष डॉ सुधीर तिवारी का दावा जबलपुर में शासन व प्रशासन कोरोना कंट्रोल करने में फेल, राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की नसीहत, मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव लें हालात का जायजा

Updated: Sep 25, 2020, 12:27 AM IST

Photo Courtesy: India tv news
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जबलपुर। कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या और उचित इलाज नहीं मिलने पर मरीजों की मौत मामले में पूर्व IMA अध्यक्ष और जानेमाने अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुधीर तिवारी ने चिंता जताई है। डाक्टर तिवारी का आरोप है कि शहर में कोरोना के मरीज लगातार बढ़ रह हैं।

 इस पर कंट्रोल करने में शासन, प्रशासन अक्षम साबित हो रहा है। कोरोना संक्रमित मरीजों की रिपोर्ट आने में 5-6 दिन लग रहे हैं। जिससे उनके इलाज में देरी होती है, और सरकारी अस्पतालों में इलाज में देरी की वजह से मरीजों की मौतें हो रही है। डॉक्टर सुधीर तिवारी ने बताया है कि सरकारी अस्पतालों से हार मानकर जब मरीज निजी अस्पतालों में आते हैं, तो वहां दोबारा पूरी जांच करवानी पड़ती है, जिसका अनावश्यक बोझ मरीज पर आता है। निजी अस्पतालों में सरकारी अस्पतालों की अपेक्षा कम समय में रिपोर्ट आ जाती है।

जिससे मरीजों का इलाज वक्त पर शुरु हो जाता है। जिसके चलते निजी अस्पताल में मरीजों की मौतें ना के बराबर हो रही हैं। डाक्टर सुधीर तिवारी का आरोप है कि जबलपुर के सरकारी अस्पतालों में कोई व्यवस्था नहीं है, यहां शासन, प्रशासन फेल हो गया है। अस्पतालों में मरीजों के लिए किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं हैं। 

डाक्टर सुधीर तिवारी का कहना है कि सरकार के मंत्री स्वयं निजी अस्पतालों में इलाज करवाने जाते हैं, भोपाल के चिरायु अस्पताल को हर महीने 6 करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। वहीं इंदौर के अरविंदो अस्पताल को भी कोविड अस्पताल के रूप में चिन्हित किया गया है, उसे भी सरकारी मदद दी जा रही है। डाक्टर तिवारी का कहना है कि सरकार ने जबलपुर जैसे बड़े शहर के किसी भी निजी अस्पताल को कोई फंड नहीं दिया है।  

आपको बता दें कि पिछले दिनों जबलपुर के कांग्रेस नेता आशीष तिवारी की मौत जबलपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज के अभाव में हो गई थी, उनकी पत्नी ने अस्पताल प्रबंधन पर आक्सीजन सप्लाई रोकने का आरोप लगाया था। गौरतलब है कि आशीष तिवारी की कोरोना रिपोर्ट उनकी मौत के दस दिन बाद तक नहीं आई थी। अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि उन्हे कोरोना था, लेकिन उनके परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया था कि अगर आशीष को कोरोना संक्रमण था, तो उनका शव सौंपते वक्त कोरोना गाइडलाइन का पालन क्यों नहीं किया गया।

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जबलपुर के अस्पतालों की बदहाली पर राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने अपने ट्वीट संदेश में लिखा है कि ‘मध्यप्रदेश शासन को जबलपुर में तत्काल व्यवस्था करना चाहिए और आशीष तिवारी की मृत्यु की उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए।‘ कांग्रेस नेता ने अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर निशाना साधा है उन्होंने लिखा है कि ‘मुख्यमंत्री शिवराज जी को तो चुनाव प्रचार से फ़ुर्सत नहीं है, मुख्य सचिव जी व स्वास्थ्य सचिव जी को जबलपुर और रीवा तत्काल जा कर हालात का जायज़ा ले कर सुधार करना चाहिए’

 

 

आपको बता दें कि सीधी जिले में भी स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। जहां कोरोना संक्रमित मरीज को रीवा शिफ्ट करने के लिए 5 घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा, एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से मरीज की मौत हो गई।

यहां के 40 वर्षीय व्यवसायी निशांत प्रकाश श्रीवास्तव की कोरोना रिपोर्ट 21 सितंबर को पॉजिटिव आई थी। जिसके बाद उन्हे जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में 22 सितंबर को सुबह 8 बजे भर्ती कराया गया था। तबीयत बिगड़ने पर शाम 6 बजे रीवा के लिए रेफर कर दिया गया था। लेकिन रीवा ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली, जिसके बाद मरीज की मौत हो गई। अब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने रीवा और जबलपुर की स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल खड़े किए हैं।