कोरोना राहत योजना में 4 महीने की समय सीमा बढ़ाई जाए, दिग्विजय सिंह ने खामियों पर सीएम को लिखा पत्र

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री के दोनों योजनाओं में वर्णित अवधि पर उठाए सवाल, योजनाओं में खामियों को दूर करने के लिखा पत्र, कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा छुपाने के लिए कलेक्टरों को दबाव मुक्त करने की मांग की

Updated: May 24, 2021, 10:07 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते अपने करीबियों को खोने वाले लोगों तक मदद पहुंचाने वाली शिवराज सरकार की दो योजनाओं की मंशा पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाए हैं। दिग्विजय सिंह ने शिवराज सरकार की दोनों योजनाओं में मौजूद खामियों को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि दोनों योजनाओं की मंशा अच्छी होने के बावजूद इसका लाभ लोगों तक नहीं पहुंच सकेगा। इस चिट्ठी में अपील की गई है कि राज्य सरकार यदि सचमुच लोगों की मदद करना चाहती है तो कोरोना आपदा राहत सिर्फ चार महीने के दौरान मृतक परिवारों को ही क्यों? क्या यह एक साल के दौरान कोरोना से अपनों को खोनेवालों के लिए जले पर नमक छिड़कने जैसा नहीं है?

1 मार्च से पहले मरने वाले लोगों की नहीं है सरकार को चिंता 

दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री को उनकी योजना की याद दिलाते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना के संबंध में वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश के बिन्दु क्रमांक-6‘ में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि यह योजना 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 तक लागू होगी। अर्थात सिर्फ इस अवधि के दौरान किसी कर्मचारी के कोविड पॉजिटिव होने तथा मृत्यु होने पर ही उसके परिवार को 5 लाख रूपये की अनुग्रह राशि दी जायेगी। कांग्रेस नेता ने कहा है कि यह आदेश उन मृतक शासकीय कर्मचारियों के परिजनों के लिये घाव पर नमक छिड़कने जैसा है, जिनका निधन कोविड के कारण 1 मार्च 2021 से पहले हुआ है। यह उन मृतक कर्मचारियों के परिवार के प्रति घोर असंवेदनशीलता और दोहरा आघात है।

सभी परिवारों के दुख को एक समान समझे सरकार 

कांग्रेस नेता ने शिवराज सरकार की इस योजना की अवधि पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि कितनी आश्चर्यजनक और शर्मनाक बात है कि सरकार की नजर में 1 मार्च 2021 के पहले कोरोना से मरने वाले कर्मचारियों का कोई महत्व नहीं है और उसे उनके परिवार की चिन्ता नहीं है। दिग्विजय सिंह ने महामारी से जान गंवा चुके सभी परिवारों के दुख को समान समझने की अपील मुख्यमंत्री से की है।

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि सरकार को इस महामारी में जान गंवा चुके सभी शासकीय कर्मचारियों के परिवार के दुःख को समान समझना चाहिए तथा उन्हें समान रूप से अनुग्रह राशि दी जानी चाहिए। साथ ही उनके परिवार के किसी एक सदस्य को 3 माह के अंदर अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिए। योजना को 30 जून तक सीमित किया गया है, इसे कोरोना महामारी के समाप्त होने तक बढ़ाया जाना चाहिए।

ब्लैक फंगस से मरने वाले व्यक्ति को कोविड मृतक क्यों नहीं मान रही सरकार 

दिग्विजय सिंह ने ‘मुख्यमंत्री कोविड जनकल्याण (पेंशन, शिक्षा, राशन) योजना का ज़िक्र करते हुए कहा है कि इस योजना में भी 1 मार्च 2021 के पहले कोरोना से मृतक लोगों के परिवारों को इसका कोई लाभ नही मिलेगा। इस योजना में यह शर्त भी डाल दी गई है कि कोरोना से ठीक हो चुके किन्तु उसके बाद ब्लैक फंगस, हार्ट अटैक, फैंफड़ों में इंफेक्शन आदि से मृत्यु हो जाने पर कोई सहायता राशि नहीं दी जायेगी। अर्थात इलाज के दौरान भी यदि किसी पेशेंट की आर.टी.पी.सी.आर. अथवा रेपिड एंटीजन जाॅच रिपोर्ट नेगेटिव आती है, तो उसे कोविड मरीज नहीं माना जायेगा और सरकारी राहत के लाभ से वो वंचित रह जाएगा।

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि इसका आशय यह है कि ऐसे मरीज की अस्पताल में ही या अस्पताल से घर जाने के बाद हार्ट अटैक, ब्लैक फंगस या लंग्स इंफेक्शन से मृत्यु होने पर सरकार की नजर में वह कोविड से हुई मृत्यु नहीं है और मृतक के परिवार को योजना का लाभ नही मिलेगा। यह कितना आश्चर्यजनक है कि कोविड मरीजों में होने वाली ब्लैक फंगस बीमारी को सरकार एक तरफ महामारी घोषित कर चुकी है किन्तु कोविड के साथ या बाद हुई ब्लैक फंगस बीमारी से मरने वाले व्यक्ति को कोविड से मृतक नहीं मानकर उसके परिजनों को राहत और अनुकंपा से वंचित किया जा रहा है। 

पूर्व मुख्यमंत्री ने शिवराज को लिखे पत्र में कहा है कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब मरीज़ की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई लेकिन सीटी स्कैन कराने पर मरीज़ के फेफड़ों में संक्रमण की पुष्टि हुई। कांग्रेस नेता ने कहा है कि जब सरकार ऐसे मृतकों को कोरोना मृतक नहीं मान रही है तब उनका अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत क्यों किया जा रहा है? इसके साथ ही राज्यसभा सांसद ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि जिन मरीजों ने इलाज के अभाव में अस्पताल के गेट पर दम तोड़ दिया, क्या मुख्यमंत्री ऐसे मृतकों को कोरोना मृतक नहीं मानेंगे? 

कोरोना मृतकों के आंकड़े को छुपाने के दबाव से कलेक्टरों को मुक्त करे सरकार 

दिग्विजय सिंह ने प्रदेश में कोरोना मृतकों के आंकड़ों के साथ हो रहे फर्जीवाड़ा का उल्लेख करते हुए कहा है कि मुझे यह कहते हुए बहुत दुःख है कि 1 मार्च 2020 के बाद मध्यप्रदेश में अभी तक 1 लाख से अधिक लोगों की कोविड से मृत्यु हो चुकी है किन्तु आपकी सरकार द्वारा दिनांक 22 मई की स्थिति में कोरोना से मृत लोगों की संख्या सिर्फ 7394 बताई गई है। क्या आप इन ऑंकड़ों को अपनी सफलता दर्शाने के लिये छुपा रहे हैं या फिर किसी अन्य वजह से?

 कांग्रेस नेता ने सीएम से कहा है कि मेरा आपको सुझाव है कि आप जिला कलेक्टरों पर कोविड के आंकड़े छुपाने का जो दबाव है उससे उन्हें मुक्त करें। इससे जिन लोगों ने महामारी से अपने परिवार के सदस्य को खोया है उन्हें अनुग्रह राशि मिल सकेगी तथा सही आंकड़ों के साथ महामारी से निपटने के लिये बेहतर रणनीति बनाकर लोगों को नये संक्रमण से भी बचाया जा सकेगा।

कोरोना मृतकों के परिजनों को सामान्य मृत्यु प्रमाण पत्र दे रहा है प्रशासन 

प्रदेश में कई जगह ऐसे उदाहरण सामने आ रहे हैं, जहां प्रशासन की ओर से कोरोना मृतकों के परिजनों को सामान्य मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। दिग्विजय सिंह ने बैतूल के मामले का ज़िक्र करते हुए कहा है कि छिंदवाडा निवासी श्री गिरीश डहेरिया का दिनांक 18 अप्रैल को भोपाल के न्यू ईरा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कोविड के उपचार के दौरान निधन हो गया। अगले ही दिन उनकी पत्नी श्रीमती दिव्या डहेरिया का जिला चिकित्सालय बैतूल में कोविड से निधन हो गया। स्व. डहेरिया दंपत्ति का सिर्फ 17 साल का एक पुत्र हनुशीष डहेरिया है जो 10वीं कक्षा का छात्र है। भोपाल नगर निगम द्वारा उसे दिये गये पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र में कोविड से मृत्यु का उल्लेख नहीं है जबकि अस्पताल और विश्राम घाट द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र में कोविड से मृत्यु का उल्लेख था। नगर निगम भोपाल द्वारा अस्पताल और विश्राम घाट के प्रमाण पत्रों को रख लिया गया और हनुशीष को उसके पिता की सामान्य मृत्यु का प्रमाण पत्र दे दिया गया है। अब उसके पास अपने पिता की कोविड से मृत्यु होने का कोई ओरिजनल प्रमाण नहीं है। 

अपनी स्व. मां के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिये यह किशोर लगातार बैतूल जिला चिकित्सालय के चक्कर लगा रहा है किन्तु उसे अपनी मॉं की कोविड से मृत्यु होने का प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है। उससे कहा जा रहा है कि उसे एक सप्ताह बाद उसकी मां की सामान्य मृत्यु का प्रमाण पत्र दे दिया जायेगा। कांग्रेस नेता ने इन सभी बिंदुओं पर मुख्यमंत्री से उचित कदम उठाने की अपील की है।