ग्वालियर में आठवीं फेल लड़के छाप रहे थे नकली नोट, 2 महीने में 4 लाख रुपए मार्केट में चलाए
दोनों बदमाश 8वीं फेल हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी पर अच्छी पकड़ रखते हैं। जितनी सफाई से ये नकली करेंसी बना रहे थे, उसे देख एक बार तो क्राइम ब्रांच भी हैरत में पड़ गई थी।
ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्राइम ब्रांच पुलिस ने एक मकान पर छापा मारकर नकली नोट छापने और उन्हें खपाने वाली गैंग को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के पास से 50, 100, 200 और 500 रुपये के नकली नोटों के साथ-साथ 2 लाख 9 हजार रुपये की नकली करेंसी और छापने का उपकरण बरामद किया है। नोट इतने असली लग रहे थे कि पुलिस को भी अंतर ढूंढने में पसीने छूट गए।
पुलिस ने बरामद किए गए नोट से सब्जी खरीदने की कोशिश की, तब जाकर उनके नकली होने का खुलासा हुआ। क्राइम ब्रांच को मुखबिर के माध्यम से सूचना मिली कि जनकगंज थाना क्षेत्र के जागृति नगर में एक किराए के कमरे में नकली नोट छापने का काम हो रहा है। इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने रैकी की और सूचना सही साबित होने पर पुलिस ने उस मकान पर छापामार कार्रवाई की।
पुलिस की टीम ने कमरे में दाखिल होते ही देखा कि वहां नकली नोट बिखरे पड़े थे और दो लोग छापने का काम कर रहे थे। पूछताछ में आरोपियों ने अपने नाम अंसार अली और अशोक माहौर बताया, जो भिंड जिले के निवासी हैं और हाल ही में लक्ष्मीगंज के जागृति नगर में किराए का कमरा लिया था।
पुलिस ने कमरे से 50, 100, 200 और 500 रुपये के नकली नोट और छापने का सामान जैसे कलर स्कैनर प्रिंटर, इंक और बटर पेपर जप्त किया है। पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों ने बताया कि उन्होंने हाल ही में 2 लाख रुपये का नकली नोट श्योपुर भेजा था और दूसरी खेप गुना भेजने की तैयारी थी। लेकिन उससे पहले ही वे पुलिस के हाथ लग गए।
पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि उनका मकसद था कि वे ग्वालियर-चंबल अंचल से शुरुआत कर पूरे प्रदेश में नकली नोट का रैकेट फैला दें। पहले उन्होंने ग्वालियर - चंबल अंचल के छोटे शहरों से शुरुआत की। वे ज्यादातर छोटे नोट 50, 100, 200 रुपए के नोट चलाते थे। इन नोट पर आदमी ज्यादा ध्यान नहीं देता है और जेब में रख लेता है। 500 का नोट बड़े शहर में चलाते।