सिंधिया के करीबियों के खिलाफ CBDT रिपोर्ट पर क्या होगी कार्रवाई, चुनाव आयोग को क्या जवाब देगी शिवराज सरकार

चुनाव आयोग ने शिवराज सरकार से CBDT रिपोर्ट पर की जा रही कार्रवाई का ब्योरा मांगा है, रिपोर्ट के दायरे में आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मंत्री-विधायक इसे साजिश बता चुके हैं

Updated: Dec 24, 2020, 08:48 PM IST

Photo Courtesy : Google
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भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी? ये सवाल इसलिए क्योंकि केंद्रीय चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भेजकर पूछा है कि उसने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मारे गए आयकर के छापों से जुड़ी CBDT की रिपोर्ट पर अब तक क्या कार्रवाई की है और आने वाले दिनों में वो इस पर क्या-क्या कदम उठाने जा रही है? शिवराज सरकार के लिए इस बारे में फैसला करना आसान नहीं होगा। क्योंकि रिपोर्ट के दायरे में आने वाले सिंधिया के करीबी मंत्री-विधायक इसे साज़िश का नतीजा बता चुके हैं। चर्चा तो यह भी हो चुकी है कि सिंधिया के साथ बीजेपी में गए कई मंत्री और विधायक कार्रवाई होने पर इस्तीफा देकर सरकार को संकट में डाल सकते हैं।

कुल मिलाकर स्थिति यह है कि CBDT रिपोर्ट पर कार्रवाई के मसले पर शिवराज सरकार को एक तरफ सिंधिया खेमे के दबाव का सामना करना है, तो दूसरी तरफ केंद्रीय चुनाव आयोग को नोटिस का जवाब भी देना है। दरअसल केंद्रीय चुनाव आयोग के उप चुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा को इस मामले में पूरी रिपोर्ट देने के लिए दिल्ली तलब किया है। आयोग ने मुख्य सचिव को भेजे अपने पत्र में यह साफ कर दिया गया है कि केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड की जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसी संबंध में बात होगी। मध्य प्रदेश सरकार को बताना होगा कि वह आगे क्या कार्रवाई करेगा। 

दिल्ली में पांच जनवरी को सुबह 11 बजे इस मामले में बैठक होनी है, जहां मुख्य सचिव बैंस को अपना जवाब देना होगा। इस चिट्‌ठी के बाद से ही मध्यप्रदेश सरकार की सक्रियता बढ़ गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुख्य सचिव ने चिट्ठी के साथ पूरे विषय की जानकारी दी है। निर्वाचन आयोग ने मुख्य सचिव से कहा है कि वे इस तैयारी के साथ आएं और बताएं कि अब तक क्या किया, क्या करने वाले हैं और आगे कार्रवाई कब की जाएगी। आयकर छापों के मामले में क्या-क्या कार्रवाई करनी है, इसका समयबद्ध प्लान लेकर भी साथ आएं।

मामले पर अब शिवराज सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दरअसल, साल 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन सीएम कमलनाथ के करीबियों के यहां आयकर की छापा पड़ी थी। इस छापे में अवैध लेनदेन की जानकारी सामने आई थी। इसमें राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा और तीन आईपीएस अधिकारी बी मधुकुमार, संजय माने और सुशोभन बैनर्जी के साथ शिवराज सरकार के कुछ मंत्रियों, विधायकों और कांग्रेस के नेताओं व विधायकों के नाम शामिल हैं।

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मामले पर शिवराज सरकार की मुश्किलें इसलिए बढ़ी हुई है कि अवैध लेनदेन के आरोपों को विपक्ष तो गलत और दुर्भावनापूर्ण बता ही रहा है, साथ ही सिंधिया के साथ बीजेपी में आए मंत्री भी विपक्ष की भाषा बोल रहे हैं। सरकार एक ओर जहां चाहती है कि मामले पर कार्रवाई हो वहीं इससे सिंधिया गुट के बगावत के स्पष्ट आसार नजर आ रहे हैं। फिलहाल इस पूरे घटनाक्रम पर खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया चुप्पी साधे हुए हैं, हालांकि उनके समर्थक मंत्रियों का कहना है कि यह हमें बदनाम करने एक षड्यंत्र है। हालांकि सीएम शिवराज और बीजेपी अध्यक्ष वी डी शर्मा पहले ही कह चुके हैं कि दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि सरकार के लिए इस मामले में कार्रवाई करना दोधारी तलवार पर चलने जैसा हो गया है।