रस्सी के सहारे नदी पार करते वक्त गिरने से किसान की मौत, MP में बदहाली की शर्मनाक दास्तां

यहां रस्सी के सहारे ही नदी पार करते हैं ग्रामीण, मंत्री सिलावट ने हाथ में जल रखकर खाई थी पुल बनवाने की कसम, चुनाव जीतने के बाद देखने भी नहीं गए, 15 साल पहले पुल भी बनी थी, जो पहली बारिश में ही बह गई।

Updated: Nov 03, 2022, 04:11 AM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट की विधानसभा क्षेत्र सांवेर में एक किसान की नदी में डूबने से मौत हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक किसान रस्सी के सहारे नदी पार कर रहा था, तभी यह हादसा हुआ। दरअसल, नदी पर पुल नहीं होने के कारण यहां 50 साल से किसान अपनी जान को जोखिम में डालकर जुगाड़ की रस्सी से खेत तक पहुंचते हैं। 

मामला इंदौर जिले अंतर्गत सांवेर विधानसभा क्षेत्र स्थित सिलोटिया गांव की है। यहां रस्सी से सहारे ही ग्रामवासियों की जीवन चलती है। ग्रामीणों के मुताबिक 15 साल पहले पुल बनाया गया था। लेकिन बीजेपी सरकार द्वारा बनवाई गई वह पुल भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गई। पुल उद्घाटन के बाद पहली बारिश में ही बह गई और एक बार फिर से किसानों का जीवन बदतर हो गया।

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बताया जा रहा है कि सोमवार को किसान प्रेम सिंह खेत पर काम कर अपने घर लौट रहे थे। नदी पार करने के लिए वह रस्सी पर चढ़े थे। जरा सी पकड़ में चूक हुई और वह पानी में गिर गए। गहरा पानी होने के कारण उनकी पानी में डूबकर मौत हो गई।डूबने के 4 घंटे के बाद नदी में ढूंढने पर किसान की बॉडी ग्रामीणों को मिली।

इस घटना के बाद गांव में मातम छा गई। लेकिन नदी पार करने की मजबूरी भी है। ग्रामीण अब फिर रस्सी के सहारे नदी पार कर रहे हैं। कोई दूसरा विकल्प नहीं है। उन्हें यह भी पता है कि जरा सी चूक हुई या पकड़ ढीली हुई तो सामने मौत है। दूसरा रास्ता 6 किलोमीटर लंबा है। ऐसे में वे इसी रस्सी के सहारे 50 फीट चौड़ी नदी को पार करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इसके पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं।

ग्रामीणों ने कहा कि, 'लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन लगातार 8 बार यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंची। लेकिन तमाम आग्रह के बावजूद इस गांव में उन्होंने कभी पुल बनवाने की पहल नहीं की। इतना ही नहीं शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट विधानसभा चुनाव के दौरान नदी का जल हाथ में लेकर संकल्प लिया था कि वे पुल बनवाएंगे। लेकिन चुनाव जीतने और मंत्री बनने के बाद वे भी अपना संकल्प भूल गए।

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ग्रामीणों ने बताया कि घर से खेत जाते समय कोई भी व्यक्ति अकेला नदी को पार करने के लिए नहीं आता है। लोग अपने साथ अपने घर में मौजूद किसी महिला या पुरुष को साथ में लेकर आते हैं और एक व्यक्ति नदी के दूसरे छोर पर खड़े होता है तो दूसरा व्यक्ति नदी पर बने रस्सी वाले पुल के माध्यम से दूसरे छोर पर जाता है। यदि इस दौरान कोई हादसा होता है तो तुरंत ग्रामीणों को सूचना दी जाती है और फिर ग्रामीण तत्काल मौके पर पहुंचते हैं और नदी में गिरे हुए व्यक्ति को तत्काल बाहर निकाल कर उन्हें इलाज के लिए पहुंचाते। लेकिन वापसी के वक्त अक्सर नदी पार करते वक्त वे अकेले ही होते हैं।