सीएम शिवराज चौहान के गृह जिले में तीसरे किसान ने की आत्महत्या

Sehore Farmer Suicide: सीहोर में तीन दिन में तीसरे किसान की आत्महत्या, खेड़ीपुरा गांव में किसान ने सोयाबीन खराब होने पर की खुदकुशी, तीन बहनों का अकेला भाई था सुरेंद्र वर्मा

Updated: Sep 06, 2020, 09:27 AM IST

सीहोर। मध्य प्रदेश में सोयाबीन फसल खराब होने से परेशान एक और किसान ने आत्महत्या कर की है। सीहोर जिले की इछावर तहसील के खेड़ीपुरा गांव में शुक्रवार रात में 22 वर्षीय किसान सुरेंद्र वर्मा ने ख़ुदकुशी कर ली। वह तीन बहनों का इकलौता भाई था और फसल बिगड़ जाने से काफी निराश था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में तीन दिन में किसान आत्महत्या का यह तीसरा मामला है।

सुरेंद्र वर्मा के पिता लखनलाल वर्मा ने बताया कि उनके पास 2 एकड़ जमीन है। इसी के भरोसे उनका 5 लोगों का परिवार पलता है। इस बार सोयाबीन की फसल से काफ़ी उम्मीद थी। बाज़ार का क़र्ज़ है उसे चुकाना था। लेकिन फसल खत्म होने से दु:खी सुरेंद्र कई दिन से परेशान था। अंततः निराश होकर सुरेंद्र वर्मा ने शुक्रवार रात को अपना जीवन ही खत्म कर लिया। परिवार परेशान है कि खेत में फसल खराब है और बेटा चला गया। अब जीवन कैसे चलेगा।

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न किसान क्रेडिट कार्ड न सरकारी सहायता 

सुरेंद्र वर्मा की आत्महत्या केवल फसल बिगड़ जाने का ही नतीजा नहीं है। यह सरकारी तंत्र के फेल होने का भी उदाहरण है। सुरेंद्र वर्मा जैसे छोटे किसानों तक कृषि विभाग और उसकी योजनाएं पहुंच ही नहीं पाई हैं। मृतक किसान सुरेंद्र के पिता लखन लाल वर्मा का कहना है कि ना तो उनके पास किसान क्रेडिट कार्ड है, और ना ही खेती के लिए कोई सरकारी मदद मिली है। 

कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल ने हम समवेत से चर्चा में कहा कि ऐसे छोटे किसानों की सरकार को फिक्र ही नहीं है। कृषि विभाग का इतना बड़ा अमला भारी भरकम बजट के बाद भी इन किसानों तक पहुंच नहीं पाया है। ऐसे छोटे किसानों को जब सरकार से क़र्ज़ नहीं मिलता है या फसल बिगड़ने पर मुआवज़ा नहीं मिलता है तो वे बाज़ार और सूदख़ोरों के चंगुल में फंस जाते हैं। सुरेंद्र वर्मा की मौत पर पल्ला झाड़ते हुए सरकार  दस्तावेज बना देगी कि उसपर कोई क़र्ज़ बकाया नहीं था। मगर सरकार यह नहीं कहेगी कि वह लाभ पाने से वंचित किसानों की परेशानी दूर करने में विफल रही है। 

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सीहोर में सोयाबीन की फसल खराब होने और आत्महत्या का यह तीसरा मामला है। इससे पहले गुड़भेला और जावर तहसील के कुर्लीकला गांव में  दो किसानों ने सोयाबिन फसल बिगड़ने पर आत्महत्या कर ली थी। ये दोनों किसानों ने एक ही दिन अलग अलग गांवों में आत्महत्याएं की। मगर किसानों की आत्महत्या पर बीजेपी सरकार बेहद असंवेदनशील नजर आई है। विपक्ष के सवाल उठाने पर शिवराज सिंह कैबिनेट के एक मंत्री भूपेंद्र सिंह कह चुके हैं कि फसल बिगड़ने के कारण आत्महत्या नहीं हुई है। भूपेन्द्र सिंह ने मीडिया से कहा था कि सीहोर जिले के गुड़भेला में किसान द्वारा आत्महत्या की वजह फसल खराब होना नहीं बल्कि दिमागी असंतुलन होना था। किसान के चार आपरेशन हो चुके थे और उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए उन्होंने आत्महत्या की। सरकार और सत्तानशीं लोगों के इस व्यवहार ने किसानों के मन में और भी निराशा भर दिया है। 

गौरतलब है कि इस साल पूरे मंध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। खराब बीज, खाद, इल्लियों का लगना और ऊपर से असमय अत्यधिक बारिश ने पूरी खेती को तहस नहस कर दिया है। इसका सबसे ज्यादा शिकार छोटे किसान हुए हैं, जो सोयाबीन की फसल में अच्छे दाम मिलने की उम्मीद में पूरे खेत में एक ही फसल लगाकर उससे उम्मीद पाले हुए थे। बारिश के बाद बाढ़ के हालात देखने मुख्यमंत्री शिवराज चाहौन इलाके में गए जरूर थे लेकिन उनकी यात्रा से किसानों को कोई उम्मीद नहीं जगी, शायद यही वजह है कि एक के बाद एक किसान खुद उनके गृह जिले में आत्महत्याएं कर रहे हैं।