फसल नहीं बिकी तो फोरलेन किया जाम, मंडी एक्ट का विरोध

मंडी एक्ट के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर कर्मचारी, किसानों ने मंडी बंद होने का जताया विरोध

Updated: Sep 08, 2020, 06:50 AM IST

रतलाम। इस समय प्रदेश भर में मॉडल मंडी एक्ट का विरोध हो रहा है। मौजूदा राज्य सरकार ने मंडी एक्ट में संशोधन कर कृषि उपज की खरीद-फरोख्त में व्यापारियों के लिए भी रास्ते खोल दिए हैं। सरकार का दावा है कि अब किसान सीधे व्यापारियों को फसल बेच पाएंगे। लेकिन इसी मॉडल मंडी एक्ट के विरोध में मध्य प्रदेश के अलग अलग इलाकों में मंडी कर्मचारी और किसान हड़ताल और प्रदर्शन कर रहे हैं। 

इसी क्रम में अरनिया पीथा नई मंडी और जावरा की लहसुन मंडी बन्द है। सभी कर्मचारी एक्ट के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। ऐसे में जब अपना लहसुन बेचने आए किसानों ने मंडी बंद देखी तो आश्चर्य में पड़ गए। इसके बाद काफी समय तक किसानों ने मंडी के खुलने का इंतजार किया। लेकिन बिना खाए पिए 350 ट्रॉलियों के साथ बस इंतज़ार कर रहे किसानों का सब्र आखिर जवाब दे गया। 

किसानों ने रविवार दोपहर तकरीबन 2.30 बजे रतलाम जावरा फोरलेन जाम कर दिया। फोरलेन पर आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई। इसके बाद मण्डी कर्मचारियों और पुलिस द्वारा काफी समझाने के बाद रास्ते को खोला गया। लेकिन किसान मंडी खुलवाने की मांग पर अड़े रहे। आखिरकार मंडी, किसानों और प्रशासन के बीच काफी रस्साकशी के बाद लहसुन मंडियो को खुलवा दिया गया और किसानों के वाहन को मंडी प्रवेश दे दिया गया। हालांकि चूंकि वहां के कर्मचारी हड़ताल पर हैं, लिहाज़ा मंडियां सोमवार को भी नहीं खुलीं।

अंग्रेज़ों का ज़माना इससे अच्छा था 
किसानों के विरोध की सूचना मिलने पर स्थानीय नेता डीपी धाकड़ मौके पर पहुंचे और किसानों में जोश जगाते हुए कहा कि यह सरकार अंग्रेजी सरकार से भी बदतर है। धाकड़ ने कहा कि अंग्रेजों के ज़माने में कम से कम बातचीत तो होती थी, लेकिन यह सरकार बिना किसी सुनवाई लोगों पर गोलियां बरसाती है, उन्हें जेल में बंद कर देती है।'

सवाल उठता है कि आखिर मंडी के कर्मचारी हड़ताल क्यों कर रहे हैं ? जवाब है राज्य सरकार का मॉडल मण्डी एक्ट। दरअसल राज्य सरकार ने 1972 के मण्डी एक्ट में संशोधन किया है। जिसके परिणाम स्वरूप किसानों को अपने घर से ही व्यापारियों को अपनी फसल बेचने की सुविधा होगी। हालांकि किसान अपनी इच्छानुसार मंडियों पर जा सकते हैं। लेकिन कृषि मंडियों का तर्क है कि इससे उनकी आमदनी पर असर पड़ेगा। बीते दिनों अनेक ऐसी शिकायतें मिलीं जिसमें गांव गांव फर्जी व्यापारी किसानों से अनाज खरीदारी करके गए लेकिन उन्हें कोरा चेक दे गए। वो चेक कभी भुने ही नहीं। अनेक थानों में ी इसकी शिकायतें लिखवाई गईं। इसलिए किसान पुरानी व्यवस्था चाहते हैं। 

दूसरी तरफ, मंडियों का तर्क है कि इससे न सिर्फ उन्हें बल्कि फसल उपजाने वाले किसानों का भी नुकसान होगा। मंडियों का कहना है कि व्यापारी किसानों से सस्ते दामों में अनाज खरीदेंगे, जिससे किसानों को कोई आर्थिक लाभ नहीं होगा। हालांकि राज्य सरकार का कहना है कि उसके इस फैसले से प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। जिससे किसान ज़्यादा से ज़्यादा फसलों के दाम पा सकेंगे।