मैंने जो भी गलतियां की हैं, उसके लिए मुझे क्षमा करें, कमलनाथ सरकार गिराने के बाद पहली बार सिंधिया ने मांगी माफी
शिवपुरी में सिंधिया ने हाथ जोड़कर मंच से माफी मांगते हुए कहा, "मुझसे जाने-अनजाने में जो भी गलतियां हुई हों उसके लिए मुझे क्षमा करें। मैंने जो भी गलतियां की हैं, उसके लिए माफी मांगता हूं।"

शिवपुरी। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है। चुनाव संबंधी तमाम सर्वे में भाजपा पिछड़ती नजर आ रही है। सभी सर्वे रिपोर्ट्स राज्य में कांग्रेस की सत्ता वापसी के संकेत दे रहे हैं। सियासी ज़ोर-आज़माइश के बीच कांग्रेस से पाला बदलकर कमलनाथ सरकार गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के लिए एक बड़ा फैक्टर बने हुए हैं। चौतरफा यह संदेश है कि भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ता सिंधिया और उनके समर्थकों को लेकर सहज नहीं महसूस करते और नाराज भाजपा का महाराज भाजपा से टकराव होता रहता है। ऐसी में सिंधिया के लिए गढ़ बचाना चुनौतीपूर्ण हो गया है और वो पहली बार एक कृपापात्र के रूप में शिवपुरी की जनता के सामने माफी मांगते नजर आए हैं।
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों ग्वालियर-चंबल अंचल के दौरे पर हैं। सोमवार को वह शिवपुरी पहुंचे, यहां वह जैन समाज के संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के मंच से जैन समाज को संबोधित करते हुए सिंधिया ने अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी है। भाषण के दौरान उन्होंने हाथ जोड़कर कहा, "मेरे आपसे संबंध राजनीतिक नहीं हैं। दिल धड़कता है तो आपके लिए, विकास के लिए सोचता हूं तो आपके लिए। मुझसे जाने-अनजाने में जो भी गलतियां हुई हों उसके लिए मुझे क्षमा करें। मैंने जो भी गलतियां की हैं, उसके लिए माफी मांगता हूं।"
तथाकथित महाराज माफ़ी माँग रहे है,एमपी में सब ठीक है ? pic.twitter.com/S7Zbhy5B5s
— राजस्थानी ट्वीट (@8PMnoCM) May 23, 2023
यह पहली बार है जब चुनी हुई कांग्रेस सरकार को धोखा देकर बीजेपी का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने किए के लिए माफी मांगी है। माना जा रहा है कि सिंधिया एक बार फिर गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं। इसी मकसद से वह लगातार क्षेत्र में दौरे कर रहे हैं। स्थानीय लोगों में इस बात का गुस्सा है कि सिंधिया ने पाला बदलकर कमलनाथ की सरकार गिरा दी। ऐसे में अब सिंधिया ने हाथ जोड़कर माफी मांगने का पैंतरा आजमाया है। बहरहाल, अब देखना ये होगा कि महाराज की माफी का रंग जमता है या फीका रह जाता है।