भाजपा कार्यलाय में चपरासी बनने के लिए तैयार हैं सिंधिया समर्थक, गिर्राज दंडोतिया को झाडू लगाने से भी नहीं है परहेज़

उपचुनाव की तारीखों का एलान होते ही भोपाल पहुंचे गिर्राज दंडोतिया, निगम मंडलों में नियुक्ति का एक साल से कर रहे हैं इंतजार

Updated: Sep 29, 2021, 06:50 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में कमल नाथ सरकार को गिराने की सिंधिया समर्थक नेताओं को यह कीमत चुकानी पड़ रही है कि अब वे भाजपा कार्यालय में चपरासी बनने के लिए भी तैयार हैं। महाराज के समर्थक नेता का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो वे भाजपा कार्यालय में झाडू लगाने से भी परहेज नहीं करेंगे। यह बातें भाजपा के टिकट पर हारे हुए प्रत्याशी गिर्राज दंडोतिया ने कही है। 

मंगलवार को उपचुनावों की तारीखों का एलान होते ही सिंधिया समर्थक और भाजपा नेता गिर्राज दंडोतिया भोपाल पहुंच गए। गिर्राज दंडोतिया ने राजधानी में बीजेपी मुख्यालय पहुंच कर अपने अस्तित्व की याद दिलाई। इस दौरान जब पत्रकारों ने गिर्राज दंडोतिया से निगम मंडल में नियुक्ति को लेकर सवाल पूछा तब उनका दर्द छलक पड़ा। 

गिर्राज दंडोतिया ने कहा कि वे भाजपा में किसी पद पर काबिज होने के लिए नहीं हैं, बल्कि जनता का सेवा करना ही उनका एकमात्र लक्ष्य है। यहां तक तो ठीक था, लेकिन भावनाओं में बहकर गिर्राज दंडोतिया आगे कुछ ऐसा कह गए, जिससे पद न पाने की उनकी टीस बाहर आ गई। दंडोतिया ने कहा कि किस नेता को क्या जिम्मेदारी दी जाएगी यह तय करना संगठन का काम है। अगर मुझे बीजेपी के कार्यालय में चपरासी बनने के लिए भी कहा जाएगा, तो मैं वह भी करूंगा। दंडोतिया ने कहा कि अगर झाडू लगाने के लिए कहा जाए, तो मैं झाडू भी लगाऊंगा। 

गिर्राज दंडोतिया केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास नेताओं में से एक हैं। सिंधिया को कमल नाथ सरकार गिराने में गिर्राज दंडोतिया ने अपनी विधायकी भी छोड़ दी। उम्मीद थी कि उचुनाव में जीत कर दोबारा विधायक बन जाएंगे। लेकिन कांग्रेस से गद्दारी का उनको यह सिला मिला कि दिमनी विधानसभा सीट पर वे उपचुनाव हार गए। 

वहीं महाराज से वफादारी का सिला यह है कि पिछले लगभग ग्यारह महीने से वे निगम मंडल में नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन न तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से कोई दिलचस्पी दिखाई दे रही है, और न ही बीजेपी किसी तरह की जल्दबाजी में दिख रही है।

गिर्राज दंडोतिया और इमरती देवी दोनों ही अपनी सीटों से चुनाव हार गए थे। चुनाव हारने के बाद से ही इन्हें निगम मंडल में एडजस्ट करने की बात चल पड़ी थी। लेकिन लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी इन्हें कोई पद नहीं दिया गया। हालांकि खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया बहुत दिनों तक खुद के मंत्री बनने का ख्वाब पूरा नहीं कर पाए थे, लिहाज़ा इन नेताओं को इससे संबल मिलता रहता था। लेकिन जब से खुद सिंधिया मंत्री बन गए हैं, इसके बाद से ही सिंधिया समर्थक इन नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है।