MP Honeytrap Case: सीबीआई नहीं SIT ही करेगी हनीट्रैप केस की जांच

High Court Indore: हाइकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कहा कि हनी ट्रैप मामले की SIT जांच सही दिशा में, केस CBI को सौंपने की ज़रूरत नहीं

Updated: Sep 06, 2020, 07:52 AM IST

Photo Courtesy: Patrika
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इंदौर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने प्रदेश के हाईप्रोफाइल हनी ट्रैप मामले की जांच CBI को सौंपने से साफ इनकार कर दिया गया है। मध्यप्रदेश पुलिस की एसआईटी द्वारा की जा रही जांच को कोर्ट ने ठीक बताया है। कोर्ट ने कहा है कि SIT की अभी तक कि जांच सही दिशा में चल रही है। कोर्ट ने SIT को कानून के मुताबिक आगे की कार्रवाई करने और स्टेटस रिपोर्ट प्रिंसिपल सेक्रेटरी के समक्ष पेश करने के निर्देश भी दिए हैं।

गौरतलब है कि पिछले दिनों इंदौर हाईकोर्ट में जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की डिवीजन बेंच ने सभी दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। शासन की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव और उप महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने भी कोर्ट के समक्ष सरकार का पक्ष रखा था। जिसके बाद अब कोर्ट ने हनी ट्रैप मामले की जांच SIT से ही जारी रखने और CBI को नहीं सौपने का निर्णय सुनाया है।

कोर्ट के आदेशों का कड़ाई से पालन कर रही है SIT

कोर्ट ने कहा कि SIT ने कोर्ट की निगरानी में जांच की है औऱ कोर्ट के आदेशों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। कोर्ट द्वारा आदेशित करने पर मामले की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। जिसके आधार पर सीबीआई जांच की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। कोर्ट ने याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह भी आदेशित किया है, कि हैदराबाद से एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के संबंध में कार्यवाही कर रिपोर्ट रजिस्ट्रार के समक्ष पेश की जाए।

कैसे हुआ हनी ट्रैप मामले का खुलासा

दरअसल 19 सितंबर 2019 इंदौर के पलासिया थाने में नगर निगम के तत्कालीन सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह ने कुछ महिलाओं के द्वारा ब्लैकमेलिगं करने की शिकायत दर्ज करवाई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि कुछ महिलाएं अश्लील वीडियो के नाम पर उन्हें ब्लैकमेल कर रही हैं। सिटी इंजीनियर से महिलाओं ने तीन करोड़ रुपये की मांग की थी। नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत पर पुलिस ने इस हनी ट्रैप गिरोह का भंडाफोड किया था। इस गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया था। भोपाल से पांच युवतियों आरती दयाल, मोनिका यादव, श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन और बरखा सोनी समेत उनके ड्राइवर ओमप्रकाश कोरी को भी गिरफ्तार किया था। 

ये महिलाएं राजनेताओं, आला अफसरों समेत कई रसूखदारों को भी जाल में फंसाती थीं औऱ ब्लैकमेल करती थीं। इस हनी ट्रैप मामले की जांच मध्य प्रदेश पुलिस की एसआईटी कर रही है। जिसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर याचिकाएं लगाई गईं थीं। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने विस्तृत फैसले में एसआईटी पर संतुष्टि जताई है। कोर्ट का कहना है कि याचिकाकर्ता ऐसा कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाए जिससे जांच CBI को सौंपी जाए।