IAS का दर्द: दलित विरोधी है शिवराज सिंह सरकार

IAS Ramesh Thete : मैंने चुकाई अंबेडकरवादी होने की कीमत, डायरेक्ट आईएएस होने के बाद भी नहीं बनने दिया कलेक्टर, न बनाया प्रमुख सचिव

Updated: Aug 01, 2020, 10:36 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित आईएएस अधिकारी रमेश थेटे ने अपने रिटायरमेंट के दिन अपना दर्द बयां किया। आईएएस अधिकारी होने के बावजूद पूरे करियर में कलेक्टर न बन पाने की कसक ने रमेश थेटे के दर्द को बयां कर दिया है। रमेश थेटे ने शुक्रवार को मीडिया को जारी अपने पत्र में सेवानिवृत होने से पहले प्रमुख सचिव पद पर पदोन्नति नहीं मिलने से वे काफी निराश हैं। 

उन्होंने 25 जुलाई 2020 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिख कर प्रमुख सचिव के पद नियुक्त करने की मांग की थी। थेटे ने कहा है कि उनके साथ यह अन्यायपूर्ण व्यवहार अंबेडकरवादी होने के नाते किया गया है। उन्होंने कहा है कि एक आईएएस अधिकारी होने के नाते मैंने दबे और कुचले लोगों के लिए काम किया और बड़ी निर्भयता से फैसले भी लिए। लेकिन एक जातिवादी गीरोह ने हमेशा मुझे घेरा और मेरा शिकार किया।

रमेश थेटे ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहा है कि उज्जैन के अपर आयुक्त रहते हुए जब मैंने किसानों की अन्यायपूर्ण तरीके से ली गई ज़मीन को मुक्त कराया तब जातिवादी लोकायुक्त नावेलकर ने उनके ऊपर 25 केस ठोक दिए। रमेश थेटे का कहना है कि उन्हें अंबेडकरवादी होने की कीमत चुकानी पड़ी है। सेवानिवृत होने से पहले रमेश अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में सचिव पद पर पदस्थ थे। 

मेरी पदोन्नति रोकने के प्रयास किए गए

रमेश थेटे ने कहा है कि लोकायुक्त द्वारा मेरे जबलपुर के शासकीय निवास पर छापा मारा गया तब मेरे निवास पर उन्हें केवल 50 रुपए का नोट मिला जिसे ज़ब्त करने तक में उन्हें शर्म आने लगी। लेकिन इसके बावजूद मेरे खिलाफ एक साज़िश के तहत मामले दर्ज किए गए। लेकिन जब न्यायालय ने उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया तब भी उनके खिलाफ हथकंडे अपनाए जाते रहे। थेटे ने बताया कि उनकी पत्नी तक के खिलाफ मामले इसलिए दर्ज किए गए ताकि उनको पूरे प्रकरण में एक सहयोगी के तौर पर दिखा कर उनकी पदोन्नति रोक दी जाए। 

मैं अब गुलामी से मुक्त हो गया हूं 

आईएएस रमेश थेटे ने सिविल सेवाओं से सेवानिवृत होने के दिन अपने मन की बात ज़ाहिर करते हुए कहा है कि अब मैं गुलामी से मुक्त हो चुका हूं। तीन साल पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव वीपी सिंह को उन्होंने यह वचन दिया था कि जब तक आईएएस की नौकरी करेंगे तब तक मीडिया से बात नहीं करेंगे। अब जब वे शुक्रवार को सेवानिवृत हो गए हैं तो उन्होंने कहा है कि ' मैं अब गुलामी से मुक्त हो गया हूं।'