कानूनों की वापसी का फैसला किसानों को आतंकवादी बताने वालों की हार है: कमल नाथ

कमल नाथ ने कृषि कानूनों की वापसी के फैसले के बाद बीजेपी के नेताओं को उनके बयानों की याद दिलाई, जब भाजपा नेता लगातार किसानों को खालिस्तानी और आतंकवादी बता रहे थे, कमल नाथ ने कहा कि आज न्याय और सच्चाई की जीत हुई है

Publish: Nov 19, 2021, 12:47 PM IST

भोपाल। कृषि कानूनों की वापसी के फैसले के बाद बीजेपी के उन तमाम नेताओं को घेरा जा रहा है, जो आंदोलनरत किसानों के लिए लगातार आपत्तिजनक शब्दावली का उपयोग कर रहे थे। पूर्व सीएम कमल नाथ ने भी भाजपा के नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि कृषि कानूनों की वापसी उन नेताओं की हार है जो लगातार किसानों को लेकर अभद्र भाषा का उपयोग करने से बाज नहीं आए। 

कमल नाथ ने कृषि कानूनों की वापसी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिन किसानों को भाजपा के लोग इन कृषि कानूनों के विरोध करने के कारण कभी कांग्रेस समर्थक,कभी देशद्रोही ,दलाल ,आतंकवादी तक कहते थे, यह उन लोगों की हार है और यह न्याय व सच्चाई की जीत है, किसानों के कड़े संघर्ष की जीत है, जिसने एक अहंकारी व जिद्दी सरकार को झुका दिया।

किसानों पर दर्ज मुकदमे भी वापस ले सरकार

कांग्रेस नेता ने कहा कि जनता यदि इसी प्रकार भाजपा को चुनावों में सबक़ सिखाती रही तो उसकी इसी प्रकार जीत होती रहेगी।अब मोदी सरकार को इन क़ानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान देश भर में किसानो पर दर्ज मुक़दमे भी वापस लेना चाहिये।

कमल नाथ ने आंदोलनरत किसानों की सराहना करते हुए कहा कि पिछले वर्ष सितंबर में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 1 वर्ष से अधिक समय से देश भर के लाखों किसान भाई सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे, सरकार से इन क़ानूनों को वापस लेने की गुहार लगा रहे थे, बारिश, ठंड, भरी गर्मी में भी वह इस कानूनों के विरोध में सड़कों पर डटे रहे।

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पूर्व सीएम ने आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को याद करते हुए कहा कि इस आंदोलन के दौरान 600 से अधिक किसानों की मौत हो गई,किसानों को इस विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी ,कई-कई राते सड़कों पर गुजारना गुजारना पड़ी ,उन्हें तरह-तरह की उलाहना भी सहना पड़ी ,कभी उन्हें आतंकवादी ,कभी देशद्रोही ,कभी दलाल ,कभी अन्य नामों से संबोधन किया। लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए।

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पीसीसी चीफ ने आगे कहा कि कांग्रेस ने भी किसानों के इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया,खुलकर उनके समर्थन में लड़ाई लड़ी और आखिर 1 वर्ष बाद ऐतिहासिक दिन गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के दिन मोदी सरकार ने इन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, उसका हम स्वागत करते हैं।यदि यह निर्णय पूर्व में ही ले लिया जाता ,सरकार अपना अहंकारी व अड़ियल रवैया पूर्व में ही छोड़ देती तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी।किसान जो सड़कों पर 1 वर्ष से अधिक समय तक डटे रहे ,उन्हें तरह-तरह की परेशानियां व प्रताड़ना झेलना पड़ी ,उस से बचा जा सकता था।

शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा दे सरकार: दिग्विजय सिंह 

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी मोदी सरकार द्वारा लिए गए कानून वापसी के इस फैसले की सराहना की है। दिग्विजय सिंह ने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया है। लेकिन उन्होंने कानूनों की वापसी के साथ साथ तीन मांगें भी सामने रखी हैं। राज्यसभा सांसद ने कृषि विरोधी कानूनों को निरस्त करने के लिए तत्काल कानून लागू करने की मांग की है। कांग्रेस नेता ने किसानों के लिए एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी का कानून लागू करने और आंदोलन के दौरान शहीद हुए तमाम किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की भी मांग की है।