कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर MP में कागजी अलर्ट, 30 जिलों में न जांच और न ही स्क्रीनिंग की सुविधा
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में कोरोना के सात एक्टिव मामले हैं, संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल के कारण राज्य के करीब 30 जिलों में सैंपलिंग नहीं हो रही है।

भोपाल। देशभर में कोरोना को लेकर जोरों पर माहौल बनाया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार भी प्रदेशभर में अलर्ट की घोषणा कर चुकी है। हालांकि, यह अलर्ट सिर्फ कागजों पर है। वास्तविक स्थिति ये है कि राज्य के तकरीबन 30 जिलों में कोरोना जांच नहीं हो रही है। इन जिलों में स्क्रीनिंग की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के पास सिर्फ करीब 20 जिलों के रिपोर्ट आ रहे हैं।
दरअसल, पिछले 1 हफ्ते से संविदा स्वास्थ्य कर्मी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। कांग्रेस ने स्वास्थ्य कर्मियों की मांगों का समर्थन किया है। हालांकि, सरकार की ओर से कोई बात तक करने नहीं आया। ऐसे में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने काम बंद कर दिया है। राज्य में कोरोना के संदिग्ध मरीजों की सैंपलिंग, स्क्रीनिंग और टेस्टिंग का काम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी ही करते हैं। चूंकि, वे हड़ताल पर हैं तो कोरोना जांच ठप है। ऐसे में सिर्फ 20 जिलों के CMHO ही स्वास्थ्य विभाग को कोरोना संबंधी रिपोर्ट सबमिट कर रहे हैं।
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्यभर में कोरोना के फिलहाल 6 सक्रिय मामले हैं। दो एक्टिव मामले राजधानी भोपाल में हैं। भोपाल में गुरुवार को एक कोरोना पॉजिटिव मरीज की रिपोर्ट निगेटिव आने पर उसे होम आइसोलेशन से डिस्चार्ज कर दिया गया। इसके बाद प्रदेश में सक्रिय मामलों की संख्या 7 से घटकर 6 हो गई।
गुरुवार को प्रदेश की अलग-अलग लैब्स में महज 100 सैंपलों की जांच की गई। जबकि कोरोना को लेकर प्रदेश सरकार ने जांच की गाइडलाइन भी जारी की है। इसके तहत हाई रिस्क ग्रुप के लोगों की जांच के लिए कहा गया है। कोविड प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की जांच भी करने के भी निर्देश दिए गए हैं। आपातकालीन स्थिति में जांच के लिए रैपिड किट का इस्तेमाल करने की भी अनुमति दे दी गई है। लेकिन जांच की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है।