मृत बेटे का शव थैले में लेकर घर लौटा पिता, न अस्पताल न सरकार मुहैया करा पायी एम्बुलेंस

मध्य प्रदेश के जबलपुर से सामने आई झकझोरने वाली तस्वीर, थैले में बच्चे का शव रखकर बस से यात्रा करने को मजबूर हुआ बेबस पिता

Updated: Jun 16, 2023, 02:20 PM IST

डिंडौरी। मध्‍य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले डिंडौरी से मानवता को झकझोरने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां एक आदिवासी व्यक्ति को अपने बच्चे का शव थैले में रखकर ले जाना पड़ा, क्‍योंकि जबलपुर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एंबुलेंस अथवा शववाहन देने से इनकार कर दिया था। 

दरअसल, डिंडौरी जिले के शहपुरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सहजपुरी गांव निवासी सुनील धुर्वे की पत्नी जमनी बाई ने 13 जून को जिला अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। जमनी बाई की यह पहली डिलीवरी हुई थी। नवजात शारीरिक रूप से बेहद कमजोर था। अगले दिन यानी 14 जून को जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे जबलपुर मेडिकल अस्पताल रेफर कर दिया। 

सुनील धुर्वे के मुताबिक जबलपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान 15 जून को उनके बच्चे की मौत हो गई। अब नवजात का शव वापस डिंडौरी लाना था। उन्होंने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से शव वाहन उपलब्ध कराने के लिए काफी मिन्नतें की, लेकिन प्रशासन से साफ मना कर दिया। पेशे से मजदूरी करने वाले सुनील धुर्वे के पास निजी वाहन का किराया तो दूर सार्वजनिक वाहन से आने के पैसे नहीं थे। उन्होंने किसी तरह लोगों से मांगकर बस का किराया जमा किया और बच्चे का शव थैले में रखकर डिंडौरी जाने वाली बस में बैठ गए।

सुनील धुर्वे ने कहते हैं कि जब मेडिकल कॉलेज से शव वाहन नहीं मिला तो वे क्या करते। प्राइवेट वाहन का किराया पांच हजार रुपए है, इसलिए हमने अपने बेटे के शव को थैले में रखा और जबलपुर से डिंडौरी आने वाली बस में बैठ गए। दिल रो रहा था, लेकिन मजबूरी ये थी कि हम रो भी नहीं पा रहे थे। बस ड्राइवर, कंडक्टर अथवा सहयात्रियों को पता चल जाता कि हमारे पास बच्चे का शव है, तो वह हमें बस से उतार देते, इसलिए दिल पर पत्थर रखकर बैठे रहे। रास्तेभर अंदर से अपनी किस्मत पर रोता रहा, लेकिन आंसू नहीं आने दिए।