MP के गोंड पेंटिंग को मिला जीआई टैग, कलाकारों में दौड़ी खुशी की लहर

दुनिया के कई देशों में कला का लोहा मनवा चुकी गोंड पेंटिंग को जीआई टैग मिलने के बाद डिंडौरी के कलाकारों को ज्यादा काम और बेहतर जिंदगी मिलने की उम्मीद जगी है

Updated: Jun 17, 2023, 07:43 AM IST

डिंडौरी। मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले के गोंड पेंटिंग को GI टैग मिल गया है। भारत सरकार ने माना है कि गोंडी चित्रकला ने देश दुनिया में अपनी विशेष पहचान हासिल कर ली है और इससे मध्य प्रदेश को भी आदिवासी कला के क्षेत्र में बड़ी पहचान मिली है। जीआई टैग मिलने को गोंड कलाकार एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देख रहे हैं। दुनिया के कई देशों में अपनी कला का लोहा मनवा चुके गोंडी कलाकारों को जीआई टैग मिलने के बाद अब ज्यादा काम और बेहतर जिंदगी मिलने की उम्मीद जगी है।

पद्मश्री प्राप्त कलाकार भज्जू श्याम, जो कि गोंड आर्ट के जनक माने जानेवाले जंगढ़ सिंह श्याम के भतीजे हैं, ने इस उपलब्धि को मील का पत्थर बताते हुए खुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि, नीले, गुलाबी संगमरमर को चीरकर निकली नर्मदा की मनोरम वादियां तो दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं लेकिन अब कलाकारों की शिल्प कला को भी विश्व में पहचान मिलेगी। डिंडौरी

 प्रकृति प्रेम, आदिवासी परंपरा और अलग-अलग स्थानीय कहानियों पर आधारित गोंड पेंटिंग को डिंडौरी जिले के प्रसिद्ध गोंडी चित्रकार जंगढ़ सिंह श्याम ने मध्य प्रदेश की विधानसभा के अंदरूनी हिस्से, विधान भवन, भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित भारत भवन का गुंबद आदि में चित्रकारी कर वे आदिवासी  और समकालीन भारतीय कला के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में मशहूर हुए।  वह अपने चित्रों के लिए कागज और कैनवास का उपयोग करने वाले पहले  गोंड कलाकारों में से एक थे जिससे उस कला का उद्घाटन हुआ जिसे अब >जंगढ़ कलाम के  नाम से जाना जाता है।

जंगढ़ सिंह श्याम ने 1980 के दशक में पहली बार पेपर और कैनवास पर उकेरा था। जंगढ़ सिंह श्याम को इस कला से खूब प्रसिद्धि भी मिली और देश दुनिया में वे खूब नाम कमाए। भोपाल के भारत कला भवन में उनके चित्र और कला के नमूने आज भी सबसे ज्यादा देखे जाते हैं।  जंगढ़ सिंह श्याम की पहचान ने उनके पूरे गांव को ही चित्रकारों का गांव बना दिया। डिंडौरी में उनका गृह गांव पाटनगढ़ आज घर-घर में गोंडी चित्रकला के लिए मशहूर है। यहां के लोग गोंडी कला का जलवा न सिर्फ भारत में बल्कि जापान, साउथ अफ्रीका और पेरिस में बिखेर चुके हैं। humsamvet

गोंड पेंटिंग में माहिर अब तक डिंडौरी जिले के दो कलाकारों को पदमश्री पुरस्कार मिल चुका है। वर्ष 2018 में कलाकार भज्जू सिंह श्याम और वर्ष 2022 में दुर्गाबाई व्याम को भारत सरकार द्वारा पदमश्री सम्मान से नवाजा़ गया। यह पुरस्कार गोंड कला को विश्व पटल पर लाने और प्रकृति के प्रति गोंड आदिवासियों के अनोखे प्रेम को उजागर करने के मकसद से इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर दिया गया था। गोंडी चित्रकार मोर, शेर, भालू, हिरण, मगर, मछली जैसे जीव-जंतुओं तथा नदी, पहाड़, खेत, पेड़ के चित्रों को रेखाओं और बिन्दुओं से बनाते हैं। इनकी खासियत यह है कि इनमें रंग कम और रेखाएं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। सरल सहज रेखाओं में अपनी कहानी बताते गोंड कलाकार अपनी आदिवासी गोंड परंपरा को भी अभिमान देते हैं।

गोंडी पेंटिंग के अलावा मध्य प्रदेश के आठ अन्य उत्पादों को भी जीआई टैग दिया गया है। खाद्य श्रेणी में रजिस्टर होनेवाले उत्पादों में मध्य प्रदेश के शरबती गेहूं और रीवा का सुंदरजा आम, मुरैना की गजक जबकि हस्तशिल्प श्रेणी के लिए ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, डिंडौरी के लौहशिल्प, जबलपुर के पत्थरशिल्प, वारासिवनी की हैंडलूम साड़ी और उज्जैन के बाटिक प्रिंट को भी शामिल किया गया है। माना जा रहा है कि जीआई टैग मिलने से इस क्षेत्र से जुड़े असंख्य लोगों को न सिर्फ पहचान मिलेगी बल्कि उनके जीवनस्तर में भी सुधार आएगा।