MP में आज ठप रहेंगी स्वास्थ्य सेवाएं, हड़ताल पर जा रहे हैं प्रदेश के 10 हजार शासकीय डॉक्टर्स

सरकारी डॉक्टरों ने अपनी माँगो को हड़ताल का ऐलान किया है, मंगलवार को दो घंटे कामबंद आंदोलन के बाद आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे डॉक्टर्स।

Updated: May 03, 2023, 09:25 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार चुनावी साल में चौतरफा विरोध झेल रही है। प्रदेश के शासकीय डॉक्टरों ने भी राज्य सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल रखा है। प्रदेशभर के करीब 10 हजार डॉक्टर्स आज यानी बुधवार से हड़ताल पर जा रहे हैं। हड़ताल का असर भोपाल, इंदौर समेत प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में देखने को मिलेगा। 

डॉक्टरों के हड़ताल से अस्पतालों में व्यवस्थाएं बहुत ज्यादा प्रभावित होने की संभावना है। डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवा, पोस्टमार्टम भी नहीं करने की चेतावनी दी है। इसके कारण गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज ज्यादा परेशान होंगे। आंदोलन को देखते हुए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्था भी की है। इमरजेंसी केस में निजी मेडिकल कालेज और नर्सिंग होम्स की मदद ली जाएगी। जरूरत पड़ने पर सरकारी मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों के गंभीर रोगियों को निजी मेडिकल कालेजों में भेजा जाएगा। 

भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. अरविंद रॉय ने बताया कि हड़ताल के कारण हमीदिया अस्पताल में भर्ती 30 मरीजों की सर्जरी टालनी पड़ सकती है। संबधित मरीजों की सर्जरी टालने का फैसला बुधवार सुबह डॉक्टर्स की हड़ताल शुरू होने के बाद ही होगा। निजी मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत 100 डॉक्टर्स की सेवाएं प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालकों से मांगी गई हैं।

इधर, राज्य सरकार ने हड़ताल से निपटने के लिए कोशिशें शुरू कर दी है। मंगलवार रात करीब 8 बजे चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के आवास पर उच्चस्तरीय बैठक हुई। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, चिकित्सक संगठन के पदाधिकारी और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा मौजूद रहे। करीब एक घंटे चली बैठक में भी कोई सहमति नहीं बन पाई। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मिलकर इस संबंध में चर्चा की।

चिकित्सक महासंघ की सबसे प्रमुख मांग डायनमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेसिव स्कीम (डीएसीपी) है। इसके अंतर्गत डाक्टरों को तय समय पर एक वेतनमान देने की मांग है। वे यह भी मांग कर रहे हैं कि चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप खत्म किया जाए। साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (एमबीबीएस) की मप्र लोक सेवा आयोग के माध्यम से की जाने चयन प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाए।