गुना कांड: दिग्विजय सरकार ने दिए थे पट्टे, कब्जाने के लिए दबंगों ने जिंदा जलाया, पीड़िता की मदद को आगे आए पूर्व सीएम

गुना में दबंगों ने आदिवासी महिला को जिंदा जलाया, हमीदिया में जीवन और मौत से जूझ रही है पीड़िता, जानकारी मिलते ही तत्काल अस्पताल पहुंचे दिग्विजय सिंह, इंसाफ की लड़ाई ने हर समय खड़े रहने का किया वादा

Updated: Jul 03, 2022, 12:03 PM IST

भोपाल/गुना। मध्य प्रदेश के गुना में आदिवासी महिला को बेरहमी से जलाने की घटना ने सभी को झकझोर दिया है। इस बर्बर घटना का वीडियो भी सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि महिला के शरीर से आग की लपटें उठ रही है और वह इधर उधर दौड़ भार रही है। पीड़िता भोपाल के हमीदिया अस्पताल में जीवन और मौत से जूझ रही है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पीड़िता को देखने अस्पताल पहुंचे और उन्होंने परिजनों को न्याय की इस लड़ाई में पूरा सहयोग देने का वादा किया।

दरअसल, यह पूरा विवाद साढ़े 6 बीघा जमीन को लेकर हुआ। दिग्विजय सिंह की सरकार ने दशकों पहले आदिवासियों को पट्टे दिए थे। बमोरी के धनोरिया गांव निवासी अर्जुन सहारिया को भी पट्टा मिला था। इसी जमीन को जोतकर वे अपना परिवार चलाते थे। लेकिन स्थानीय दबंगों ने पिछले एक साल से उसे कब्जा लिया था। कुछ महीने पहले तहसीलदार ने उक्त जमीन सहरिया परिवार को वापस कब्जा भी दिलाया था।

तहसीलदार की दखल के बाद दबंगों ने आदिवासी परिवार को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। उन्होंने तहसील प्रांगण में ही अर्जुन सहरिया के साथ मारपीट की, जिसकी FIR भी दर्ज है। इसके बावजूद वे आदिवासी परिवार को जान से मारने की धमकी देते थे। पीड़ित परिवार ने बमोरी थाने में प्रताड़ना के आवेदन दिए, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। बीते 23 जून को ही अर्जुन ने एसपी को आवेदन देकर आरोपियों से अपनी जान का खतरा बताया था। लेकिन पुलिस ने सुरक्षा प्रदान नहीं की।

शनिवार दोपहर करीब ढाई बजे अर्जुन सहारिया की पत्नी रामप्यारी बाई जब खेत पर थी तो वहीं दबंगों ने डीजल डालकर उन्हें आग के हवाले कर दिया। इस बर्बर घटना में उनके शरीर का 80 फीसदी हिस्सा जल चुका है। रामप्यारी भोपाल की हमीदिया अस्पताल में जीवन और मौत से जूझ रही हैं। घटना की जानकारी मिलते ही पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह हमीदिया अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने परिवार को ढाढस बढ़ाते हुए कहा कि न्याय की इस लड़ाई में वे पूरा सहयोग करेंगे। साथ ही यह आश्वासन दिया कि उनके जमीन पर किसी का कब्जा नहीं होने देंगे। 

हैरानी की बात ये है कि आदिवासी गौरव के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने वाली राज्य सरकार ने इस मामले पर चुप्पी साध रखा है। सत्तारूढ़ दल के नेता मंत्री पीड़िता परिजनों की मदद तो दूर उनसे कोई मिलने तक नहीं पहुंचा। आदिवासी समाज में इस घटना को लेकर रोष व्याप्त है। युवा आदिवासी नेता विक्रांत भूरिया ने इस घटना को लेकर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि, 'शिव राज में आदिवासियों पर जुल्म की सारी हदें पार हो गई है। आदिवासियों के साथ जानवरों से बुरा सलूक हो रहा है। सीएम चौहान को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। हम मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग करते हैं।'