खरगोन: कर्ज में डूबे किसान ने की आत्महत्या, आपदा के कारण कर्ज के दुष्चक्र में फंसा था किसान

तीन साल से आपदा की मार झेल रहा था किसान, बैंक से ली थी कर्ज लेकिन चुका पाने में था असमर्थ, बैंक ने डिफॉल्टर घोषित कर तस्वीरें लगाने की दी थी धमकी

Updated: Nov 01, 2021, 02:24 AM IST

Photo Courtesy: New Indian Express
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खरगोन। मध्य प्रदेश के खरगोन में कर्ज के बोझ तले डूबे एक और किसान ने आत्महत्या कर ली है। बताया जा रहा है कि मृतक, अशोक बिरला पिछले तीन वर्षों से प्राकृतिक आपदा झेलते हुए बुरी तरह कर्ज के दुष्चक्र में फंस गये थे। कर्ज न चुका पाने के कारण बैंक ने किसान को धमकी दी थी कि डिफॉल्टर घोषित कर उसकी तस्वीरें लगाई जाएगी। आपदा की त्रासदी और तस्वीर से होने वाली बदनामी ने उन्हें इतना मजबूर कर दिया कि वो अपना जीवन समाप्त करने जैसा कदम उठा लिए। 

सनावद थाना के मलगांव में रहनेवाले 42 साल के अशोक बिरला अपनी पांच एकड़ जमीन पर कपास की खेती करते थे। बीते 3 वर्षों तक लगातार प्राकृतिक आपदा के कारण उनकी फसल खराब होती गई और वे कर्ज के दुष्चक्र में फंसते चले गए। परिजनों के मुताबिक बैंक ऑफ इंडिया बांगड़दा ब्रांच में उनका कर्ज 4 लाख 25 हजार रुपए हो गया था। 

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परिजनों के मुताबिक अशोक कर्ज चुकाना चाहते थे लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद वे इसे चुका पाने में असफल थे। उधर बैंक की ओर से लगातार फोन कॉल और नोटिस के माध्यम से पैसे चुकाने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। परिजनों के मुताबिक बैंक ने आखिरी चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि वे कर्ज नहीं चुकाएंगे तो उनकी तस्वीर लगाकर उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा।

बैंक की इस चेतावनी के बाद वे समाज में डिफॉल्टर के रूप में जलील होने की डर से चिंतित थे। उनकी 20 वर्षीय बेटी शिवानी बिरला यूपीएससी की तैयारी कर रही थी और उससे एक साल छोटा बेटा आशीष बिरला बीकॉम की पढ़ाई कर रहा था। मृतक अशोक की बेटी पढाई में अच्छी है और पिता बेटी को आईएएस बनाने का सपना देख रहे थे लेकिन कर्ज में डूबे अशोक को अपने दो बच्चों का पढ़ाई खर्च वहन करना मुश्किल हो गया था।

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मृतक के रिश्तेदारों ने बताया कि बीते एक हफ्ते से वे कई रिश्तेदारों के आगे हाथ फैला चुके थे। लेकिन बैंक का कर्ज ज्यादा होने के कारण उन्हें सांत्वना के अलावा और कुछ हासिल नहीं हुआ। परेशान अशोक ने रविवार सुबह कीटनाशक सल्फास की गोलियां खा लीं। परिजनों ने आनन फानन में उन्हें स्थानीय निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां दोपहर तीन बजे उन्होंने दम तोड़ दिया।

स्थानीय लोगों ने इस घटना की जानकारी सनावद थाने में दी और शासकीय अस्पताल में उनका पोस्टमार्टम कर शव का अंतिम संस्कार किया गया। मृतक के परिचित विजय चौधरी ने बताया कि परिवार में खेती कर रोटी कमानेवाले वे इकलौते इंसान थे। चौधरी ने कहा कि इस घटना के बाद न केवल उनके बच्चों की पढ़ाई बंद हो जाएगी बल्कि बैंक और स्थानीय साहूकारों का कर्ज भी अब उनके माथे आ गया है। 

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मामले पर किसान नेता केदार सिरोही ने दुःख जताते हुए शिवराज सरकार को निशाने पर लिया है। केदार सिरोही ने कहा है कि फर्जी किसान पुत्र शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में जारी किसान आत्महत्या के लिए पूरी तरह से कसूरवार हैं। सिरोही ने मांग की है कि किसान को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले बैंक कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए वहीं पीड़ित परिजनों को तत्काल 50 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।