दिग्विज्य सिंह ने खत्म करवाई हरदा पीड़ितों की भूख हड़ताल, धरनास्थल से ही CM को फोन लगाकर दी ये चेतावनी

भूख हड़ताल पर बैठे हरदा विस्फोट पीड़ितों के पास पहुंचे दिग्विजय सिंह, सीधे सीएम मोहन यादव को फोन लगाकर बताई उनकी डिमांड, आश्वासन मिलने पर भूख हड़ताल खत्म करवाई

Updated: Mar 09, 2024, 12:35 AM IST

हरदा। मध्य प्रदेश के हरदा में पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट पीड़ित पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे थे। हड़ताल की सूचना मिलते ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हरदा पहुंचे और धरनास्थल से ही सीएम मोहन यादव को फोन लगाकर उन्हें लोगों की मांगों से अवगत कराया। सीएम यादव से आश्वासन पर उन्होंने हरदा पीड़ितों की हड़ताल भिनखत्म कराई।

दरअसल, एनजीटी ने हरदा ब्लास्ट घटना में मृतकों के परिजनों को 15 लाख, गंभीर रूप से घायलों को पांच लाख और सामान्य रूप से घायलों को तीन लाख रुपए देने के निर्देश दिए थे। वहीं, जिनके घर टूटे हैं उन्हें क्षतिपूर्ति के तौर पर पांच लाख रुपए देने के निर्देश दिए थे। हालांकि, अबतक प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं था। 

कांग्रेस नेत्री अवनी बंसल और कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही के नेतृत्व में ब्लास्ट पीड़ित पिछले 15 दिन से धरने पर बैठे थे। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बीच पीडितों की राहुल गांधी से मुलाकात कराई और गुरुवार देर रात यात्रा से सीधे हरदा पहुंचे।

शुक्रवार सुबह उन्होंने कलेक्टर से मुलाकात कर पीड़ितों की मांगों को लेकर सवाल पूछे और स्पष्ट जवाब न मिलने पर सीधे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को फोन लगाया। सिंह ने सीएम यादव को पीड़ितों की मांगों से अवगत कराया और चेतावनी दी की यदि ये मांगें पूरी नहीं की जाती है तो वे स्वयं भूख हड़ताल पर बैठेंगे। सीएम यादव ने सिंह के माध्यम से पीड़ितों आश्वासन दिया की अगले 16 मार्च तक उनकी सभी मांगें पूरी कर ली जाएंगी।

मुख्यमंत्री से आश्वासन मिलने के उपरांत पूर्व सीएम सिंह ने पीड़ितों की भूख हड़ताल खत्म करवाई। साथ ही उन्हें कहा कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा और यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती है तो वे फिर स्वयं आएंगे और उनके साथ हड़ताल करेंगे। सिंह के कड़े रुख देख प्रशासन को आरोपी फैक्ट्री मालिक के खिलाफ दर्ज एफआईआर में गैर इरादतन हत्या की धारा जोड़ना पड़ा। सिंह ने प्रशासन को ये भी निर्देश दिए हैं कि जबतक पीड़ितों के घर नहीं बन जाते उन्हें रहने और भोजन की व्यस्था की जाए।