MP: गरीबों के निवाले में मिलावट का खेल, PDS के गेहूं में मिट्टी मिलाते हुए वीडियो वायरल

धान के बाद अब गेहूं में मिलावटखोरी का मामला, गरीबों को बांटे जाने वाले गेहूं में रेत और मिट्टी मिलाने का वीडियो वायरल, वजन बढ़ाने के लिए गेहूं में मिलाई जा रही मिट्टी

Updated: Jan 31, 2023, 05:44 PM IST

सतना। मध्य प्रदेश के सतना जिले से मिलावटखोरी का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को दिए जाने वाले गेहूं में धड़ल्ले से रेत और मिट्टी मिलाई जा रही थी। घटना का वीडियो सामने आने के बाद राज्य में गरीब कल्याण के दावों की एक बार फिर पोल खुल गई है।

दरअसल, सतना जिले के रामपुरबाघेलान इलाके के बांधा गांव में समर्थन मूल्य पर गेहूं का भंडारण किया गया है। इस साइलो में बीते 2 साल से समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं का भंडारण है। यहां लगभग 7 लाख क्विंटल गेहूं रखा गया था। अब यह गेहूं अन्य जिलों में भेजा जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक इसमें से अब तक तकरीबन 3 लाख क्विंटल गेहूं भारतीय खाद्य निगम के जरिए अन्य जिलों में भेजा जा चुका है। बांधा गांव के इस साइलो से एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि गेहूं में धूल और रेत मिलाई जा रही है। इसके लिए मजदूर लगाए गए हैं जो अनाज में मिट्टी और रेत डाल रहे हैं।

मिलावट के वीडियो की पड़ताल करने के लिए जब मीडियाकर्मी बांधा के साइलो पहुंचे तो यहां के कैंपस से वह ट्रैक्टर भी मौजूद था जिसमें मिट्टी और रेत लाए गए थे। हालांकि इस मामले में साइलो के सहायक प्रबंधक का कहना है यहां मिलावट नहीं हो सकती। किसी ने शरारत की होगी जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। हालांकि वो भी ये मान रहे हैं कि वीडियो उनके ही गोदाम में ही बनाई गई है।

हाल ही में सतना जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी केंद्र में रेत और पत्थर की मिलावट की घटना सामने आई थी। प्रशासनिक जांच में मिलावट की बात सही साबित हुई थी। बाद में महिला स्व सहायता समूह के अध्यक्ष और खरीदी केंद्र प्रभारी पर एफआईआर दर्ज की गई। अब गेहूं में मिलावट का ये नया मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है।

बता दें कि हाल के वर्षों में केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की
सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि मध्य प्रदेश में जनता को सबसे घटिया स्तर का खाद्यान वितरित किया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि ये खाद्यान्न जानवरों को भी नहीं दिया जा सकता। इसके बावजूद राज्य में बांटे जाने वाले अनाजों की क्वालिटी में सुधार करने संबंधी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।