उमा भारती ने शिवराज सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, बोलीं- 15 जनवरी तक शराब बंदी करे सरकार

उमा भारती ने सीएम शिवराज और वीडी शर्मा को दिया अल्टीमेटम, बोलीं- 15 जनवरी तक का समय है, शराबबंदी करें, वरना गंगा सागर से लौटकर मैं सड़कों पर आ जाऊंगी

Updated: Sep 18, 2021, 09:59 AM IST

Photo Courtesy: News18
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भोपाल। मध्य प्रदेश से बीजेपी के राज्यसभा उम्मीदवार घोषित होने के बाद बीजेपी में उथल-पुथल मच गई है। पूर्व सीएम व दिग्गज नेतृ उमा भारती ने अब अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उमा भारती ने सीएम शिवराज व प्रदेश अध्यक्ष को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि 15 जनवरी तक मध्य प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू हो। उमा ने चेतावनी दिया है कि यदि ऐसा नहीं होता है तो वे सड़कों पर आ जाएंगी।

उमा भारती ने कहा है कि शराबी बात नहीं बल्कि लट्ठ से मानते हैं। उन्होंने शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मैं गंगासागर जाऊंगी और 15 जनवरी को वहां से लौटूंगी। तबतक प्रदेश में शराबबंदी लागू नहीं होता है तो मैं लागू करवाउंगी। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा है कि 15 जनवरी के बाद मैं गंगा सागर से यही तय करके आऊंगी कि मध्य प्रदेश में शराबबंदी लागू करवानी है। 

उमा भारती का यह बयान ऐसे समय में आय है जब आज ही राज्यसभा की एक सीट पर उप चुनाव के लिए बीजेपी ने डॉ एल मुरुगन को राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया है। जबकि डॉ मुरुगन मूलतः तमिलनाडु के रहने वाले हैं। माना जा रहा है कि पार्टी के इसी फैसले से उमा भारती खफा हैं।

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राजनीतिक जानकारों की मानें तो उमा भारती लोकसभा चुनाव के दौरान ही अपने लिए मध्य प्रदेश से एक सुरक्षित सीट चाहती थीं। लेकिन पार्टी ने उन्हें आराम दे दिया। इस वजह से वह बीच-बीच में बीजेपी विरोधी बयान दे रहीं थीं। हालांकि, उन्होंने इसलिए खामोशी ओढ़ ली थी राज्यसभा से चुनकर वह संसद जाएंगी। लेकिन पार्टी ने उनके इस योजना पर भी पानी फेर दिया। इसीलिए जैसे ही उम्मीदवार का घोषण हुआ उमा ने अपना खुला बगावत का ऐलान कर दिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके पहले उमा भारती अपने समर्थकों की मध्य प्रदेश सरकार में सक्रिय हिस्सेदारी को लेकर पार्टी फोरम पर मांग उठा चुकी हैं। बावजूद उनके समर्थकों को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। उमा लगातार यह भी कहती रहीं हैं कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार उनके ही बदौलत आई थी। उमा के इस दावे में कहीं न कहीं सच्चाई भी है। लेकिन शिवराज के आते ही बीजेपी ने उन्हें तवज्जो देना छोड़ दिया।