नहीं थम रहा महाकाल लोक में मूर्तियां खंडित होने का मुद्दा, दिग्विजय सिंह ने उठाई ठेकेदार की गिरफ्तारी की मांग

धर्म के नाम पर व्यवसाय करती है भारतीय जनता पार्टी, जो देव प्रतिमाएं गिरी हैं, उसके जिम्मेदार ठेकेदार के साथ आधिकारी भी हैं जिन्होंने यह ठेका मंजूर किया: दिग्विजय सिंह

Updated: May 31, 2023, 03:09 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल लोक में देव प्रतिमाएं खंडित होने का मामला गर्माता जा रहा है। हल्की आंधी में सप्तऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां खंडित होने के बाद निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस ने महाकाल लोक निर्माण में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का आरोप लगाया है। इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अब ठेकेदार की गिरफ्तारी की मांग उठाई है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बुधवार को राजधानी भोपाल में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, 'महाकाल मंदिर विकास के लिए कमलनाथ सरकार ने 350 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। दुर्भाग्यपूर्ण कांग्रेस की सरकार चली गई। इसके बाद ठेका गुजरात की कंपनी को मिला। इस प्रोजेक्ट में सप्त ऋषि की मूर्तियों को बनाने में 45 -45 लाख रुपए खर्च हुए। लेकिन वे मामूली हवा के झोंके में गिर गए। शासन-प्रशासन अब यह कह रहा है कि बहुत तेज हवा चली और यह गिर गई। कोई दोषी नहीं है।'

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सिंह ने आगे कहा, 'कांग्रेस विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त में भ्रष्टाचार की शिकायत भी की थी जिसकी जांच चल रही है। जो मूर्तियां गिरी हैं उसके लिए ठेकेदार के साथ ही वे अधिकारी भी जिम्मेदार हैं जिन्होंने यह ठेका मंजूर किया। ठेकेदार को तो गिरफ्तार करने की आवश्यकता है।' सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा की भारतीय जनता पार्टी धर्म के नाम पर व्यवसाय करती है।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने भी प्रदेश की भाजपा सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि, 'शिवराज सरकार ने भगवान महाकाल को भी नहीं बक्शा। एक ही आंधी में महाकाल कॉरिडोर के निर्माण की पोल खुल गई। यदि तूफान आ जाता तो क्या स्थिति होती। अब घोटाला उजागर होने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। इसका मतलब साफ़ है कि भ्रष्टाचारियों को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है।'