Mahakaleshwar Temple: महाकाल के शिखर से ऊंची नहीं होगी कोई इमारत

Ujjain: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आसपास के क्षेत्र में दिखेगा बड़ा बदलाव, दो हजार से ज्यादा संपत्तियों पर संकट

Updated: Sep 25, 2020, 08:50 PM IST

Photo Courtsey: Zeenews
Photo Courtsey: Zeenews

उज्जैन। महाकाल मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का असर दिखने लगा है। नगर निगम ने आदेश के मद्देनजर यह फैसला किया है कि महाकाल मंदिर से पांच सौ मीटर के दायरे में अब भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। निगम के इस फैसले के बाद इस क्षेत्र में पड़ने वाले तकरीबन 2 हजार संपत्तियों पर संकट आ गया है जिनकी खरीद-बिक्री बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल मंदिर को लेकर 1 सितंबर को हुए सुनवाई के दौरान कहा था कि मंदिर के 500 मीटर परिधि में अतिक्रमण हटाने के साथ ही नवनिर्माण पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने तीर्थ यात्रियों के आवागमन की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए विशेषज्ञ समिति के सुझावों के अनुसार अतिक्रमण हटाने को लेकर रिपोर्ट भी मांगी है। कोर्ट के निर्देशों को गंभीरता से लेते हुए निगम ने पंजीकृत वास्तुविद और इंजीनियर्स को यह आदेश दिया है कि आगामी आदेश तक वे मंदिर के 500 मीटर की परिधि में नए निर्माण के प्रस्ताव ऑनलाइन भी न लें।

शिखर से ऊंची नहीं होगी कोई इमारत

कोर्ट के आदेश के बाद आसपास के इलाकों में महाकाल मंदिर के शिखर से ऊंची कोई इमारत का निर्माण नहीं होगा वहीं सरकारी अनुमति के बिना कोई निर्माण नहीं हो पाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक निगम द्वारा अनुमति जारी नहीं करने से करीब 150 से ज्यादा आवेदन रुक गए हैं। हालांकि इस दौरान सरकारी निर्माण कार्यों पर रोक नहीं लगेगी। 

विशेषज्ञों की टीम का दौरा

कोर्ट ने मंदिर परिसर के अंदर आधुनिक सुविधाओं के नाम पर किए गए निर्माण को भी विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर फौरन ध्वस्त करने का आदेश दिया है। वहीं रुड़की स्थित संस्थान के विशेषज्ञों की टीम मंदिर का दौरा कर विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी, जिसमें व्यवस्था को ज्यादा उपयोगी और सुरक्षित बनाने के सुझाव भी हो सकते हैं। 

बता दें कि इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर भस्म और अन्य लेपों के प्रयोग से हो रहे प्रभाव को लेकर भी दिशा निर्देश जारी किए थे। हालांकि बाद में कोर्ट ने कहा था कि पूजा-अर्चना के तौर-तरीकों और विधियों को लेकर नियम तय करना हमारा काम नहीं है और इसे मंदिर के पुजारी ही तय करेंगे।