जबलपुर में चार निजी स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई, अवैध रूप से वसूले गए 38 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश

जबलपुर जिला प्रशासन ने चार निजी स्कूलों द्वारा अवैध तरीके से वसूली गई 38 करोड़ 9 लाख रुपये की फीस को 30 दिनों के भीतर अभिभावकों को लौटाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, प्रत्येक स्कूल पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

Updated: Jan 25, 2025, 02:58 PM IST

Photo courtesy: MP Breaking News
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जबलपुर| जिला प्रशासन ने चार निजी स्कूलों द्वारा अवैध तरीके से वसूली गई 38 करोड़ 9 लाख रुपये की फीस को 30 दिनों के भीतर अभिभावकों को लौटाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, प्रत्येक स्कूल पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह कार्रवाई कलेक्टर दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में गठित जिला समिति द्वारा की गई, जिसने अभिभावकों की शिकायतों की जांच के बाद यह निर्णय लिया।

मामले की जांच में पाया गया कि इन चार स्कूलों ने शैक्षणिक सत्र 2018-19 से लेकर 2024-25 तक कुल 63,009 विद्यार्थियों से अवैधानिक रूप से फीस वसूली थी। इस सूची में सेंट जोसेफ कॉन्वेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल (कैंट), गैब्रियल हायर सेकेंडरी स्कूल (रांझी), दिल्ली पब्लिक स्कूल (मंडला रोड) और रॉयल सीनियर सेकेंडरी स्कूल (संजीवनी नगर) शामिल हैं।

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सेंट जोसेफ स्कूल ने 21,827 विद्यार्थियों से 10 करोड़ 90 लाख रुपये, गैब्रियल स्कूल ने 27,240 विद्यार्थियों से 17 करोड़ 42 लाख रुपये, दिल्ली पब्लिक स्कूल ने 9,828 विद्यार्थियों से 6 करोड़ 97 लाख रुपये और रॉयल स्कूल ने 4,114 विद्यार्थियों से 3 करोड़ 61 लाख रुपये की अवैध वसूली की थी। जिला समिति ने इन सभी स्कूलों की अवैधानिक फीस वृद्धि को अमान्य करार देते हुए राशि लौटाने का आदेश दिया है।

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अनुसार इन स्कूलों पर मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस एवं संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम 2017 और 2020 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप है। इन प्रावधानों के तहत न केवल वसूली गई राशि लौटाने का आदेश दिया गया है, बल्कि प्रत्येक स्कूल पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने की राशि एचडीएफसी बैंक के खाते में जमा करने और उसकी पावती जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

जिला प्रशासन ने साफ किया है कि यदि स्कूल 30 दिनों के भीतर वसूली गई राशि अभिभावकों को वापस करने में असफल रहते हैं, तो उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है। प्रशासन द्वारा अब तक 32 स्कूलों की जांच की जा चुकी है, जिसमें कुल 265 करोड़ रुपये की अवैध वसूली के मामले सामने आए हैं। इनमें से कई स्कूलों के प्रिंसिपल और संचालकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण भी दर्ज किए गए हैं, और कुछ को जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी है।