Empty Promises: जनता पूछे सवाल, मामा जी ‘क्या हुआ तेरा वादा’, शिवराज के पिछले कार्यकाल की घोषणाएं अब तक अधूरी

मुख्यमंत्री शिवराज ने पिछले कार्यकाल में 135 कॉलेज खोलने का ऐलान किया था, लेकिन पैसे की कमी बताकर पूरे नहीं किए गए तमाम वादे

Updated: Oct 06, 2020, 02:50 AM IST

Photo Courtesy: ThePrint
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भोपाल। प्रदेश में चुनाव हो या नहीं पर बीजेपी नेता घोषणाएं करने से बाज नहीं आते। इन घोषणाओं को पूरा करने में विभागों को पसीना आ जाता है। पिछले 5 साल में 135 नए कॉलेज खोलने की घोषणा प्रदेश के घोषणावीर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने की। लेकिन इनमें से कई कॉलेजों में न तो बिल्डिंग है और न ही छात्रों को पढ़ाने के लिए फैकल्टी नियुक्त की गई है।

वहीं साल 2015 के बाद सरकार ने 82 कॉलेज खोलने का ऐलान किया, जिनमें से 36 कॉलेज भवन राज्य, 50 विश्व बैंक के पैसे से निर्माणाधीन हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले आनन-फानन में खोले गए कॉलेज अब उच्च शिक्षा  विभाग पर बोछ बन गए हैं। जिसके चलते अब विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

उच्च शिक्षा विभाग ने भवन निर्माण की मंजूरी से किया इनकार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले 82 नए कालेज खोलने की घोषणा की थी। साल 2015-16 के बाद आनन-फानन में हुई इन घोषणाओं पर अमल करने के लिए पैसा नहीं है। न तो कॉलेज बिल्डिंग, न तो स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था है, और न ही अन्य सुविधाएं। और तो और मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी उच्च शिक्षा विभाग ने अधिकांश कॉलेज खोलने और भवन निर्माण की मंजूरी देने से हाथ खड़े कर दिया है।

चार साल में केवल 82 कॉलेज खुले

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई पुराने कॉलेजों के अपग्रेडेशन की घोषणा की थी, लेकिन उन्हें भी अपग्रेड नहीं किया जा रहा है। उच्च शिक्षा विभाग ने कई घोषणाओं को तो उपयुक्त ही नहीं माना है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पचास किलोमीटर के दायरे में पहले से ही कॉलेज स्थित हैं।  ऐसे में नए कालेज खोलने का कोई महत्व नहीं है। दरअसल दूर दराज के इलाकों में विद्यार्थियों को हायर एजुकेशन की सुविधा देने के लिए 135 नए कॉलेज खोलने का फैसला लिया गया था। जिनमें चार साल में केवल 82 कॉलेज खोले जा सके हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले एक साल में केवल 42 कॉलेज ही खोले गए थे। 

उच्च शिक्षा विभाग ने कही बजट की कमी की बात

मध्य प्रदेश के कई इलाकों बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में इस दौरान 33 नए कॉलेज खोलने की घोषणाएं तो हुईं, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने भौतिक परीक्षण में पाया है कि कई जगहों पर कॉलेजों की जरूरत ही नहीं थी। उच्च शिक्षा विभाग का यह तर्क बजट की कमी के कारण दिया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों का मानना है कि जो कॉलेज खोले गए हैं उन इलाकों में नेताओं के राजनीतिक प्रभाव के कारण ऐसा हो पाया है। तत्कालीन क्षेत्रीय विधायकों ने चुनावा से पहले अपने इलाकों में कॉलेज खोलने की मांग की जो अब बजट के अभाव में अदर में लटके हुए हैं।

वहीं कोरोना काल में मध्यप्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने नए भवन निर्माण तो दूर स्टाफ की भर्ती के बारे में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

 

साल 2015-2018 के बीच 33 कॉलेजों की घोषणा

आपको बता दें की जबलपुर से शहपुरा, विजय नगर चरगवां में नए कॉलेज खोलने की घोषणा हुई थी। साल 2019 में तीन घोषणाएं हुई लेकिन उनमें कोई अमल नहीं हुआ। वहीं बालाघाट जिले के लामता कॉलेज की बिल्डिंग निर्माण के लिए भी वित्त की कमी बताई जा रही है। विंध्य क्षेत्र के सतना में 5, डिंडौरी में 4, कटनी श्योपुर में 3-3, उमरिया, मंडला, अनूपपुर, सिंगरौली, शहडोल और सागर में 2-2, छतरपुर, नरसिंहपुर, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा में एक-एक कॉलेज समेत कुल 33 महाविद्यालयों की पहल तो हुई लेकिन इन्हे बिल्डिंग नसीब नहीं हुई।

बीजेपी, कांग्रेस के अपने-अपने तर्क

इस बारे में बीजेपी और कांग्रेस के अपने अपने तर्क हैं कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने 200 कॉलेजों की प्लानिंग की थी लेकिन सरकार ही चली गई, अब आगे क्या होगा इसका कुछ पता नहीं। वहीं बीजेपी सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री का कहना है कि प्राथमिकता के आधार पर कॉलेजों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया है कि अगले दो साल में 50 कॉलेजों की बिल्डिंग बन जाएगी। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का कहना है कि रुसा, विश्व बैंक और राज्य के फंड से कॉलेजों की निर्माण करवाया जा रहा है।अब एक बार फिर मध्यप्रदेश में उपचुनाव हैं, ऐसे में फिर से चुनावी वादे और दावे किए जा रहे हैं। लेकिन जनता को उन वादों का लाभ मिलेगा या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।