मध्य प्रदेश के थाना परिसरों में नहीं बनेंगे मंदिर, जबलपुर हाई कोर्ट ने निर्माण पर लगाई रोक
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि मध्य प्रदेश के विभिन्न थानों में खासकर थानों के परिसर में अवैध रूप से धार्मिक स्थल, विशेषकर मंदिर बनाए जा रहे हैं, जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के सभी थानों के परिसरों में मंदिरों के निर्माण पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय ने सोमवार को इस मामले में सरकार को नोटिस भी जारी किया है। प्रदेश के डीजीपी और मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में इसका जवाब देना है।
दरअसल, एक रिटायर सरकारी कर्मी और वकील ओम प्रकाश यादव ने मध्य प्रदेश के थाना परिसरों में मंदिरों के निर्माण को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। यादव के वकील सतीश वर्मा ने पत्रकारों को इस बात की जानकारी दी। वकील शतीश वर्मा ने दलील दी कि जिन खुली जगहों पर इन मंदिरों का निर्माण किया जा रहा है वह सार्वजिनक स्थल हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक ढांचों के निर्माण पर रोक लगा दी गयी है।
मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने प्रदेश के सभी थानों में बन रहे मंदिरों पर रोक लगा दी है। अब इस पर 19 नवंबर को सुनवाई होगी। बता दें सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सार्वजनिक स्थलों पर मंदिरों के निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दे चुकी है। इसके बावजूद कई थानों में मंदिरों का निर्माण हो रहा है। याचिका में उन सभी थानों की तस्वीरें भी शामिल की गई हैं, जहां मंदिरों का निर्माण मौजूदा समय में किया जा रहा है।
कोर्ट ने निर्माणाधीन मंदिरों पर रोक लगाई है लेकिन जो मंदिर पहले ही थानों में बने हैं, क्या उन्हें हटाया जाएगा? इस पर याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि नियमानुसार तो ये हटाए जाने चाहिए लेकिन 19 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई में जब सरकार की तरफ से नोटिस का जवाब दिया जाएगा, तब इन्हें लेकर फैसला होगा।