प्रेमचंद गुड्डू के दांव से लड़खड़ाई भाजपा की राजनीति

प्रेमचंद गुड्डू की नाराजगी पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि प्रेमचंद गुड्डू पार्टी में अपेक्षा के अनुरूप सम्मान नहीं मिला।

Publish: May 26, 2020, 08:30 PM IST

मध्‍य प्रदेश की राजनीति में मालवा क्षेत्र के जमीनी नेता प्रेमचंद गुड्डू के दांव से भाजपा की राजनीति लड़खड़ा गई है। ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में गए वर्तमान जलसंसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट सांवेर से फिर जीत कर आने का सपना संजोए हुए हैं मगर प्रेमचंद गुड्डू ने उनके सुरताल बिगाड़ने की तैयारी कर ली है। पहले कांग्रेस के बागी ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को खरी-खरी सुनाई, फिर ईद पर कांग्रेस के चिह्न के साथ बधाई संदेश दिया और भोपाल में प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कमलनाथ व वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह से मुलाकात कर प्रेमचंद गुड्डू ने भाजपा खासकर सांवेर क्षेत्र में हलचल मचा दी है।

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मालवा क्षेत्र में बने इस दिलचस्‍प राजनीतिक मुकाबले में प्रेमचंद गुड्डू ने पहला दांव ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की आलोचना कर चला था। जवाब में भाजपा ने उन्‍हें कारण बताओ नोटिस दिया तो नहले पर दहला चलते हुए प्रेमचंद गुड्डू ने कह दिया कि वे तो 9 फरवरी को ही भाजपा छोड़ चुके हैं। जवाब में भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा ने केवल इतना ही कहा कि हमें प्रेमचंद गुड्डू का त्‍यागपत्र नहीं मिला। नोटिस के जवाब में प्रेमचंद गुड्डू ने भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा को पत्र में लिखा था कि अपने राजनीतिक अनुभव के चलते मुझे इस बात का एहसास हो गया था कि मैंने भाजपा की सदस्यता लेकर गलती की है। और मैंने यह गलती सुधार ली। कांग्रेस के बागी ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट पर हमला करते हुए प्रेमचंद गुड्डू ने पत्र में लिखा था कि मैंने कांग्रेस में रहते हुए भी कई बार सिंधिया के खिलाफ आवाज उठाई है। सिंधिया परिवार कभी किसी का सगा नहीं हुआ है। जब वे कांग्रेस में थे तो कमलनाथ सरकार को किसानों की समस्या को लेकर सड़क पर उतरने की चेतावनी दी थी। अब जब पूरा प्रदेश त्राहिमाम कर रहा है तो वे कहां हैं? मप्र में कोरोना फैलने के जिम्‍मेदार पूर्व स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री और भाजपा सरकार में मंत्री तुलसी सिलावट हैं। जब कोरोना रोकने के जतन करना थे तब वे बेंगलुरू की होटल में बैठ कर आराम फरमा रहे थे। मैं आपको बताना चाहता हूं कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने से पहले 9 फरवरी को भाजपा से इस्तीफा दे चुका हूं। उसके बाद पूरे देश में कोरोना से अपनी दस्तक दी, लेकिन केंद्र सरकार कोरोना के नियंत्रण की बजाय मध्य प्रदेश में ऑपरेशन लोटस में लगी रही। उस समय मुझे एहसास हुआ कि देश के सामने पैदा हो रही समस्या का समाधान करना या उसे विकराल रूप में जाने से रोकने के बजाय भाजपा का लक्ष्य दल-बदल कर सत्ता प्राप्त करना है। मेरे त्यागपत्र देने के बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है।

ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और भाजपा पर इस बयान के जवाब में मंत्री सिलावट ने केवल इतना ही कहा कि प्रेमचंद गुड्डू का कद इतना नहीं है कि वे सिंधिया पर टिप्‍पणी करें। सिलावट का यह छोटा सा बयान कुछ असरदार साबित होता भी अगर भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय प्रेमचंद गुड्डू के पक्ष में न बोलते। प्रेमचंद गुड्डू की नाराजगी पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि प्रेमचंद गुड्डू पार्टी में अपेक्षा के अनुरूप सम्मान नहीं मिला। गुड्डू की अपेक्षा भी ज्यादा थी और उनकी उपेक्षा भी हुई।

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विजयवर्गीय मैदान का अनुभव रखते हैं और जनता का मन भांप लेते हैं। उनके बयान से भाजपा की अंदरूनी खींचतान उभर कर सामने आ गई। सोमवार को ईद पर प्रेमचंद गुड्डू ने कांग्रेस के चुनाव चिह्न के साथ फेसुबक पर बधाई संदेश दिया। फिर कांग्रेस अध्‍यक्ष कमलनाथ से मुलाकात भी कर ली। इसके पहले वे कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह से मिल चुके हैं। ये मुलाकातें प्रेमचंद गुड्डू की कांग्रेस में वापसी तय करेंगी। 2018 विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा में शामिल होने के पहले प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस से सांवेर से विधायक और उज्जैन से सांसद रह चुके हैं। सांवेर उपचुनाव के ठीक पहले उनका कांग्रेस की तरफ होना भाजपा के लिए चिंता का कारण बन गया है।