सच का सामना करने से डरती है शिवराज सरकार, 3 घंटे में सत्र की समाप्ति पर कांग्रेस ने फिर बोला हमला

पीसीसी में आज कांग्रेस नेताओं ने पत्रकार वार्ता की, जिसमें विधानसभा का सत्र महज़ तीन घंटे में समाप्त करने के मसले पर कांग्रेस नेताओं ने शिवराज सरकार की जमकर आलोचना की, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनपी प्रजापति, और पीसी शर्मा संयुक्त रूप से मीडिया से मुखातिब हुए

Updated: Aug 13, 2021, 12:24 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र समय से पहले समाप्त करने के सिलसिले में कांग्रेस ने एक बार फिर शिवराज सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा है कि शिवराज सरकार सच का सामना करने से डरती है, इसीलिए सरकार ने जानबूझ कर सत्र को महज़ तीन घंटे में समाप्त कर दिया।ताकि सरकार को ज़रुरी मुद्दों पर जवाब न देना पड़े। कांग्रेस नेताओं शिवराज सरकार पर कोरोना मृतकों के आंकड़े को छिपाने का आरोप लगाया। इसके साथ ही बाढ़ पीड़ितों और ज़हरीली शराब से हुई मौतों पर चर्चा करने से भागने का आरोप भी लगाया।  

शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। पत्रकार वार्ता में मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व स्पीकर एन पी प्रजापति, कमल नाथ सरकार में मंत्री रहे पीसी शर्मा शामिल थे। कांग्रेस नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शिवराज सरकार पर जमकर बरसे। कांग्रेस नेताओं ने शिवराज सरकार पर एक के बाद एक आरोपों की झड़ी लगा दी। 

विधानसभा का मॉनसून सत्र महज़ तीन घंटे में समाप्त करने के मसले पर पीसी शर्मा ने शिवराज सरकार को घेरते हुए कहा कि शिवराज सरकार सिर्फ सच का सामना करने से बचना चाहती है। कांग्रेस विधायक ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि संविधान के मुताबिक एक वर्ष में कम से कम सदन में 60 दिन बैठक होनी चाहिए। लेकिन अब तक कोई भी सत्र तीन से चार दिन से अधिक अवधि तक नहीं चला है। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस सत्र में भी विपक्ष जनहित के मुद्दों पर सरकार से चर्चा करना चाह रहा था। इसके लिए विपक्ष ने सदन में ध्यानकार्षण और स्थगन प्रस्ताव भी दिया था। लेकिन शिवराज सरकार को चर्चा से भागना ही मंज़ूर था।  

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पार्टी विधानसभा में कोरोना के मसले पर चर्चा करना चाहती थी। ओबीसी आरक्षण, बेरोज़गारी, महंगाई, ग्वालियर चंबल में आई बाढ़ के मुद्दों पर हम चर्चा करना चाहते थे। लेकिन शिवराज सरकार जन सरोकार के मुद्दों पर चर्चा करने से बचती रही। जिसका नतीजा यह हुआ कि सत्र तीन घंटे से ज़्यादा देर नहीं चल पाया। 

पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने कोरोना से मृत्यु के आंकड़े छिपाने का काम किया है। इस साल जनवरी से मई महीने के बीच प्रदेश में 3 लाख 28 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई हैं। जो कि राज्य में प्रति वर्ष होने वाली मृत्यु से 54 फीसदी अधिक है। कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर इन पंजीकृत मौतों की सांख्यिकी के प्रोबेबिलिटी के सिद्धांत से तुलना की जाए तो कोरोना मृतकों का आंकड़ा 1 लाख 34 हज़ार के पार हो जाएगा। लेकिन शिवराज सरकार के आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में केवल दस हज़ार लोगों की ही मृत्यु हुई है। पीसी शर्मा ने कहा कि मृत्यु के प्रमाणपत्रों तक में शिवराज सरकार आंकड़ों का खेल खेल रही है। कोरोना से मरने वाले लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र तक में मृत्यु का कारण कोरोना नहीं लिखा गया। ताकि कागज़ों पर कोरोना से हुई मृत्यु का आंकड़ा कम दिखाई दे।         

मध्य प्रदेश विधानसभा के चार दिवसीय मॉनसून सत्र की शुरूआत 9 अगस्त से हुई थी। सत्र की शुरुआत से पहले ही यह स्पष्ट हो चुका था कांग्रेस इस सत्र में शिवराज सरकार को चौतरफा घेरने की तैयारी कर रही है। सत्र के पहले दिन ही कांग्रेस पार्टी ने आदिवासी दिवस के अवसर पर छुट्टी निरस्त करने के शिवराज सरकार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की। कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा परिसर में शिवराज सरकार के फैसले का विरोध किया। सत्र की शुरूआत जब हुई तब आदिवासियों के मुद्दे को कांग्रेस ने सबसे पहले उठाया। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पीसीसी चीफ कमल नाथ के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली। सत्र का पहला दिन जल्द ही अगले दिन के लिए स्थगित कर दिया। लेकिन इसके ठीक अगले दिन जब कांग्रेस ने सदन में मुद्दों को उठाने की शुरूआत की, वैसे ही सदन को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।