विकास की राह तकते रह गए पिछड़े ज़िले, सरकार ने लिया सीएम और नगर विकास मंत्री के क्षेत्र में कायाकल्प के लिए क़र्ज़

एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर मप्र के जिन दो छोटे शहरों के विकास की तैयारी है, उसमें एक सीएम शिवराज सिंह चौहान का क्षेत्र बुधनी और दूसरा नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह का क्षेत्र खुरई है।

Updated: Aug 11, 2023, 12:01 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने समग्र विकास के लिए दो शहरों का चयन किया है। एक सीएम शिवराज सिंह चौहान का क्षेत्र बुधनी और दूसरा नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह का क्षेत्र खुरई है। इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट प्लान (आईडीपी) के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर इन शहरों का विकास होगा।

इस प्रोजेक्ट में 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। जिसमें 
बुधनी में 200 करोड़ और खुरई में 300 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। चूंकि, सरकार के नगरीय विकास विभाग के पास ही शहरों के चयन का अधिकार था। ऐसे में उनके अपने विधानसभा क्षेत्र का ही चयन किया। वहीं, सीएम चौहान के कहने पर बुधनी का चयन किया भा। इन दोनों का चयन पहले चरण के लिए किया गया। बाद में चित्रकूट और नसरुल्लागंज को डेवलप किया जाएगा। नसरुल्लागंज भी सीएम के विधानसभा क्षेत्र में ही है।

समग्र विकास के लिए आईडीपी पुरानी स्कीम है।
2019-20 में कमलनाथ सरकार के दाैरान राधौगढ़ और बैतूल का चयन किया था। बैतूल आदिवासी बाहुल्य होने के साथ ही पिछड़ा भी है। ऐसे में बैतूल का चयन किया गया था। वहीं, स्वच्छता और राजस्व के मामले में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राघौगढ़ का चयन किया गया था। बहरहाल, नए चुने गए शहरों में विकास के काम शुरू करने के लिए रोड और बिल्डिंग के टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

बुधनी और खुरई में शार्ट, मीडियम और लांग टर्म प्रोजेक्ट बनेंगे। दो साल में काम पूरा करने का लक्ष्य है। बताया जा रहा है कि बुधनी में टेक्सटाइल का काम होने की वजह से लेबर के लिए 15 हजार हाउस बनेंगे। टूरिज्म के लिए रिवर फ्रंट विकसित होगा। खुरई में एग्रीकल्चर की संभावनाएं हैं, इसलिए यहां भी हाउसिंग के प्रोजेक्ट रहेंगे। तालाब के किनारों का सौंदर्यीकरण होगा। खुरई और बुदनी में 4-4 मेगावॉट के सोलर प्लांट लगेंगे। सीएनजी प्लांट की भी संभावनाएं देखी जाएंगी।

आईडीपी प्रोजेक्ट में 500 करोड़ में से 70% राशि राज्य सरकार के खजाने से जाएगी। यानी 350 करोड़ रुपए। शेष 30% पैसा एडीबी से लोन लिया जाएगा। लोन के इस एमाउंट में से 75% राज्य सरकार चुकाएगी और शेष 25% नगरीय निकाय को देना होगा। स्पष्ट है कि ज्यादातर पैसा राज्य सरकार ही दे रही है।