कोर्ट की टिप्पणी से विपक्ष को मिली ऊर्जा, नर्सिंग घोटाले पर हैरान हुई अदालत
हाई कोर्ट ने नर्सिंग की परीक्षा पर लगाई गई रोक को बरकरार रखने का फैसला किया है, इसके साथ ही इस पूरे मामले पर राज्य सरकार के रवैए को लेकर भी कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है

भोपाल। मध्य प्रदेश नर्सिंग घोटाले से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस पूरे मामले में राज्य सरकार के रवैए को लेकर कहा कि कोर्ट को इस बात की हैरानी है कि आखिर कैसे लोग सरकार चला रहे हैं।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इस सख्त टिप्पणी के बाद पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने भी शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। पीसी शर्मा ने कहा है कि इस मामले में फर्जीवाड़ा पकड़ाए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई क्योंकि यह शिवराज जी और मोदी जी का अमृतकाल है।
माननीय कोर्ट - हम हैरान है, आखिर कैसे लोग सरकार चला रहे है!
— P. C. Sharma (@pcsharmainc) April 20, 2023
फ़र्ज़ीवाड़ा पकड़ाया भी लेकिन मोदी जी, शिवराज जी के अमृतकाल मे किसी पर कार्यवाही नही होगी!
कोई घोटाला हुआ है मित्रों???@INCIndia@digvijaya_28 @OfficeOfKNath@INCMP#Pcsharmainc pic.twitter.com/tg9hq4AGTw
बुधवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में राज्य सरकार की उस अपील पर सुनवाई हो रही थी जिसमें सरकार ने नर्सिंग कॉलेजों में परीक्षा पर रोक हटाने की मांग की थी। मामले की सुनवाई करते हुए दो सदस्यीय बेंच ने शिवराज सरकार का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता प्रशांत सिंह से कुछ तीखे प्रश्न कर डाले।
कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा कि जब एक तरफ कॉलेजों की मान्यता को लेकर सीबीआई जांच चल रही है तब फिर छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति कैसे दे दी गई? कोर्ट ने बैकडेट में एमपी साइंस यूनिवर्सिटी के कॉलेजों को मान्यता देने को लेकर पूछा कि अगर इन कॉलेजों को मान्यता दे दी गई तो सीबीआई की जांच का क्या होगा? क्या इन दोनों ही चीजों का एक साथ चलना संभव है?
कोर्ट ने पूछा कि एक तरफ खुद मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने कोर्ट को बताया कि उसके पास कॉलेजों से जुड़े कोई दस्तावेज नहीं है और दूसरी तरफ काउंसिल मान्यता देना चाहती है? ऐसा क्यों? कोर्ट ने कहा कि हमें हैरानी है कि कैसे लोग सरकार चला रहे हैं जिन्हें प्रदेश के स्वास्थ्य की कोई चिंता ही नहीं है। कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को करेगा। इस दिन प्राइवेट कॉलेजों और सरकार को दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिए गए हैं।