नर्सों की प्रदेशव्यापी हड़ताल, करीब 25 हजार नर्सें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

कोरोना काल में नर्सों की बेमियादी हड़ताल से अस्पतालों की व्यवस्था चरमराई, स्वास्थ्य विभाग ने नर्सिंग स्टूडेंटस और NRHM की नर्सों की लगाई ड्यूटी, वेतन वृद्धी समेत अपनी 12 मांगों को लेकर अड़ी हैं नर्सें

Updated: Jun 30, 2021, 09:40 AM IST

Photo Courtesy: twitter
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भोपाल। मध्यप्रदेश नर्सेस एशोसिएशन के आह्वान पर प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों की करीब 20 हजार से ज्यादा नर्सेस बोमियादी हड़ताल पर चली गई हैं। नर्सों की हड़ताल से अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा गई है। वेतन वृद्धी समेत अपनी कई मांगों को लेकर नर्सों ने काम बंद कर दिया है। नर्सें उच्चस्तरीय वेतनमान, पदनाम बदलने, दो अतिरिक्त वेतनवृद्धि जैसी कई मांगों को लेकर अनिश्‍चितकालीन हड़ताल पर हैं। यह हड़ताल प्रांतीय नर्सेस एसोसिएशन और स्टेट नर्सेस एसोसिएशन के बैनर तले की जा रही है।

भोपाल में बुधवार को हमीदिया और सुल्‍तानिया लेडी हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टाफ हमीदिया कैंपस में जमा हुए। डी ब्लाक में सैकड़ों की संख्या में नर्सेस मौजूद थी। उन्होंने अपनी मांगे मनवाने के लिए बैनर ले रखे थे। इस दौरान नर्सेज ने अपनी मांगे पूरी करने के लिए नारेबाजी की। वहीं ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सागर, इंदौर समेत प्रदेश भर के अस्पतालों में नर्से हड़ताल पर हैं।

 

प्रांतीय नर्सेस एसोसिएशन का कहना है कि सोमवार को एक दिवसीय सामूहिक अवकाश के बाद भी सरकार नहीं चेती। जिसके बाद ना चाहते हुए भी एसोसिएशन ने अनिश्चित कालीन हड़ताल करने का फैसला किया है। उनका कहना है कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

दरअसल इस हड़ताल में नर्सिंग स्टाफ का गुट आंदोलन में शामिल नहीं है। वह गुट पिछले सप्ताह आंदोलन किया था। सरकार से मांगें पूरी करने का आश्वासन मिलने के बाद सगंठन ने हड़ताल टालने का फैसला लिया था। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने हड़ताल की वजह से होने वाली परेशानी से बचाने के लिए नर्सिंग स्टूडेंट्स और NRHM की नर्सेस की ड्यूटी तीन दिन के लिए लगा दी है।

इस हड़ताल में करीब 60 प्रतिशत नर्सिंग स्टाफ हड़ताल पर है, जिससे अस्पतालों में खासी दिक्कतों का सामना  करना पड़ रहा है। नर्सेस का एक गुट काम पर है, करीब 30 से 40 प्रतिशत कर्मचारी ड्यूटी पर पहुंच गए हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान संविदा पर नियुक्त नर्सिंग कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल नहीं हैं।  

सोमवार को हमीदिया अस्पताल की 300 और सुल्तानिया लेडी हॉस्पिटल की करीब 100 नर्सों मांगे नहीं पूरी होने पर एक दिन का सामूहिक अवकाश लिया था। जिसके बाद हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक और गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन के आश्वासन के बाद वे सब काम पर लौट गई थीं। वहीं एक बार फिर नर्सेस यूनियन की बैठक के बाद बुधवार से अनिश्चित कालीन हड़ताल का फैसला लिया।

इन नर्सों की मांग है कि 2004 के बाद भर्ती की गई स्टाफ नर्सों की पुरानी पेंशन लागू हो। कोरोना महामारी के दौरान काम करने वाली नर्सों की सैलरी में दो इंक्रीमेंट लगाए जाएं। सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में कार्य करने वाली नर्सों को हाई स्टडी के लिए एज लिमिट की सीमा हटा दी जाए। कोरोना काल में अस्थाई रूप से भर्ती नर्सों को रेग्यूलर करने, सभी नर्सेस का पदनाम स्टाफ नर्स की जगह नर्सिंग ऑफिसर करने, सातवें पे कमीशन का लाभ वर्ष 2018 के बजाए सभी कर्मचारियों की भर्ती वर्ष 2016 से देने की मांग की जा रही है।

वहीं कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले नर्सिंग स्टाफ के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की जा रही है। वहीं 15 अगस्त को राष्ट्रीय कोरोना योद्धा अवार्ड से सम्मानित करने की मांग भी नर्सों ने की है। मेल नर्स की भर्ती तत्काल करने और सरकारी नर्सिंग कॉलेज और स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों  को कलेक्ट्रेट दर पर मानदेय समेत कई मांगों को लेकर हड़ताल की जा रही है।

इससे पहले प्रदेश के जूनियर डाक्टर्स अपनी कई मांगों को लेकर हड़ताल कर चुके थे। मामला कोर्ट तक पहुंच गया था। जिसके बाद सरकार का रुख भी नरम होने पर जूनियर डाक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी थी। अब अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर नर्सेस हड़ताल पर हैं।