Kanpur Encounter : विकास दुबे और MP के गृहमंत्री का कानपुर Connection

Digvijaya Singh : मध्यप्रदेश बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता की वजह से हुई विकास दुबे की गिरफ्तारी

Publish: Jul 10, 2020, 01:11 AM IST

भोपाल। कानपुर के बिकरू में आठ पुलिसकर्मियों को मारने वाला गैंगस्‍टर विकास दुबे घटना के सात दिन के बाद गुरुवार को नाटकीय ढंग से उज्जैन में मिला है। जिसे यूपी सहित तीन राज्यों की पुलिस उसकी तलाश रही थी वह महाकाल मंदिर में पहुंच गया। कांग्रेस ने इस घटनाक्रम पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि कानपुर के इस अपराधी ने बीजेपी सरकार में आसानी से समर्पण किया है।

प्राप्‍त जानकारी के विकास ने गुरुवार सुबह बाबा महाकाल के दर्शन के लिए वीआईपी एंट्री के लिए 250 रुपए की रसीद कटवाई। इस दौरान उसने अपना सही नाम विकास दुबे ही लिखवाया। इसके बाद वह महाकाल बाबा के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में पहुंचा। दर्शन के बाद विकास वहां मौजूद जवानों के पास गया और बोला कि मैं कानपुर वाला विकास दुबे हूं, मुझे पकड़ लो। उधर, विकास को पकड़वाने वाले सिक्योरिटी गार्ड गोपाल सिंह ने मीडिया को बताया कि मैंने शक होने पर उसे पूछताछ के लिए रोका तो वह आनाकानी करने लगा। मुझे और ज्यादा शक हुआ, तो मैंने पुलिस को बुलाया। इस पर उसने मेरे साथ झूमाझटकी की। थोड़ी देर में पुलिस आई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

इस नाटकीय गिरफ्तारी पर कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह तो उत्तरप्रदेश पुलिस के एनकाउंटर से बचने के लिए प्रायोजित सरेंडर लग रहा है। मेरी सूचना है कि मध्यप्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की वजह से यह संभव हुआ है। जय महाकाल। 

एमपी और छत्‍तीसगढ़ कांग्रेस ने गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा, कानपुर और विकास दुबे के कनेक्‍शन पर निशाना साधा है।

वहीं कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्‍यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि एमपी में अपराधियों के समर्पण करने का सबसे अच्‍छा स्‍थान दिखाई देता है। कानून व्‍यवस्‍था की स्थिति पूरा प्रदेश देख रहा है। शर्म आती है फिर भी मुख्‍यमंत्री वाहवाही लेने पर तूले हुए हैं।

पटवारी ने कहा है कि अपराधियों ने अपने आप को एमपी में सुरक्षित महसूस कर रखा है। एमपी अपराधियों की शरण स्‍थली बन गई है।

कांग्रेस की राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता डॉ. रागिनी नायक ने ट्वीट किया है कि Chronology समझिये-बदमाश भाग जाते हैं। पुलिसवालों के प्राण जाते हैं। हफ़्ते तक विकास दुबे को यूपी पुलिस वाले हाथ नहीं लगा पाते हैं। दो सहयोगी गिरफ़्तार कर एनकाउंटर कर दिये जाते हैं। सारे बदमाश भाजपा शासित प्रदेशों में पाये जाते हैं।अपना नाम चिल्लाने के बाद विकास दुबे को पकड़ पाते हैं।