प्रदेश के 23 ज़िलों में नहीं बचे आईसीयू बेड, 10 ज़िलों में नहीं हैं ऑक्सीजन बेड, अस्पताल के गेट पर दम तोड़ रहे हैं मरीज़

प्रदेश के विभिन्न जिलों के अस्पताल अब ऑक्सीजन की कमी से मरीजों को भर्ती करने से इनकार कर रहे हैं, हालात यह बन गए हैं कि मरीज़ अब अस्पताल के बाहर दम तोड़ रहे हैं

Updated: Apr 27, 2021, 02:59 PM IST

Photo Courtesy: News Click
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भोपाल। कोरोना से उपजे संकट काल में मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था अब मरीज़ों सी ही हांफने लगी है। प्रदेश के अस्पतालों में कहीं तालाबंदी तो कहीं एडमिशन बंदी के बोर्ड टांग दिए गए हैं। वेब पोर्टल न्यूज़ क्लिक ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि इस समय प्रदेश में 23 ज़िले हैं ऐसे हैं, जहां आईसीयू बेड नहीं बचे हैं। जबकि दस ज़िलों में अब ऑक्सीजन के बेड भी खत्म हो गए हैं।

पिछले एक हफ्ते में मध्यप्रदेश में कोरोना के लगभग 92 हज़ार मामले सामने आए हैं। 520 निजी अस्पतालों सहित प्रदेश के कुल 829 अस्पतालों में आईसीयू के 9,340 और ऑक्सीजन की सुविधा वाले 22,580 बेड हैं। 26 अप्रैल तक प्रदेश में मौजूद कुल 9,340 आईसीयू बेड में से केवल 5.60 फीसदी बेड ही खाली थे। जबकि 22,580 ऑक्सीजन बेड में से केवल 13.7 फीसदी बेड ही खाली बचे होने की संभावना है। 

जिन 23 ज़िलों में आईसीयू बेड की शॉर्टेज सामने आई है, वो हैं- इंदौर, रतलाम, उज्जैन और विदिशा। वहीं बालाघाट, भिंड, छतरपुर, विदिशा, और गुना ज़िले में पिछले कई दिनों से ऑक्सीजन बेड भी अनुपलब्ध हैं। विदिशा, सिवनी, बालाघाट और देवास सहित कुल 6 ज़िलों में न तो ऑक्सीजन बेड हैं और न ही आईसीयू बेड। 

हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि राजधानी भोपाल के ऐम्स और इंदौर के अरबिंदो अस्पताल के बाहर मरीजों को भर्ती नहीं करने के बोर्ड लगा दिए गए हैं। मुरैना और गुना के ज़िला अस्पतालों ने भी ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीजों की भर्ती करना बंद कर दिया है। वहीं हरदा का ज़िला अस्पताल तो मरीजों के परिजनों से खुद ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए राज़ीनामा भरवा रहा है। 

भोपाल में बेड खाली होने के बावजूद नहीं बच पाई मरीज़ की जान 

कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित दस ज़िलों में से 45 फीसदी मामले केवल भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर में हैं। ऑक्सीजन और आईसीयू के बेड सिर्फ इन्हीं तीन ज़िलों में शेष बचे हैं। सोमवार को भोपाल के 105 अस्पतालों में कुल 1866 बेड में से केवल 56 बेड खाली थे। जबकि 3,759 ऑक्सीजन बेड में से केवल 74 बेड ही खाली थे। लेकिन राजधानी में बेड्स की उपलब्धता होने के बावजूद तीन मरीजों की जान चली गई। वह भी तब जब कोरोना के इन मरीजों को बेड दिलाने के लिए दिग्विजय सिंह सहित तमाम ओहदेदार लोगों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार से गुहार लगाई थी। 

भोपाल के ईदगाह हिल्स में रहने वाले नासिर खान की बहन का 24 अप्रैल को अस्पताल में कोरोना के कारण इंतकाल हो गया। अगले ही दिन नासिर की मां की तबियत भी बिगड़ गई। इसके बाद नासिर ने मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अब्बास हाफ़िज़ खान से संपर्क किया। तमाम जगह संपर्क करने के बाद जब नासिर और उनकी मां के लिए बेड की व्यवस्था नहीं हो पाई, तब कांग्रेस प्रवक्ता ने शिवराज सिंह चौहान से मदद की गुहार लगाते हुए ट्वीट किया। जिसे पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी रीट्वीट किया। लेकिन इन तमाम प्रयासों के बावजूद नासिर और उनकी मां के लिए अस्पताल में बेड की व्यवस्था नहीं हो पाई। 24 घंटे के भीतर ही नासिर और उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। जबकि वेब पोर्टल न्यूज़ क्लिक की रिपोर्ट के मुताबिक उस दिन राजधानी भोपाल में दर्जनों बेड खाली थे।

प्रदेश की बदतर स्वास्थ्य व्यवस्था का नतीजा यह है कि अब अस्पतालों के बाहर ही मरीज़ दम तोड़ रहे हैं।