जमीनी फीडबैक ने बढ़ाई BJP की चिंता, जनता से लेकर भाजपा कार्यकर्ता तक शिवराज सरकार से नाराज

वरिष्ठ नेताओं ने बैठक में खुले तौर पर बताया कि प्रभारी मंत्रियों ने अपने-अपने क्षेत्र के न तो पर्याप्त दौरे किए और न ही इन दौरों के दौरान उन्होंने स्थानीय कार्यकर्ताओं को महत्व दिया।

Updated: Apr 20, 2023, 08:48 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है। एक तरफ भाजपा की ओर से प्रदेश में केंद्रीय नेताओं के लगातार दौरे हो रहे हैं तो दूसरी तरफ विपक्षी दल कांग्रेस की ओर दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जोड़ी मैदान में है। इसी बीच सामने आई एक जमीनी फीडबैक ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, भाजपा के आंतरिक रिपोर्ट में सामने आया है कि अधिकांश विधानसभा क्षेत्र के जमीनी कार्यकर्ता अपने क्षेत्र के विधायकों, नौकरशाहों और यहां तक पार्टी की सरकार से काफी नाराज हैं।

दरअसल, बीजेपी के पास लंबे अरसे से जमीनी स्थितियां अच्छी नहीं होने की सूचनाएं आ रही हैं। संगठन ने अपने स्तर पर जो फीडबैक पहले मंगाया, वह भी पार्टी के लिए उत्साहजनक नहीं था। लगातार एक ही बात आ रही है कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ता अपने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से खुश नहीं हैं और उन्हें अपने दल की सत्ता होने के बावजूद महत्व नहीं मिल रहा है। भाजपा संगठन और सरकार द्वारा कराए गए तमाम सर्वे इस बात के संकेत दे रहे हैं कि राज्य में कांग्रेस का पलड़ा भारी है। सूत्रों के मुताबिक इंटेलिजेंस रिपोर्ट में भी सत्ताधारी दल बीजेपी की स्थिति खराब बताई गई है।

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पूर्व में आई जमीनी रिपोर्ट के बाद पार्टी ने 14 बड़े नेताओं को अलग-अलग जिलों में जाकर वास्तविक स्थिति का पता लगाने की जिम्मेदारी दी थी। इन नेताओं की भोपाल में जो बैठक हुई, उसमें खुलकर सारी बातें सामने आई हैं। इस बैठक में सीएम शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा पार्टी के तमाम दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, डॉ. सत्यनारायण जटिया, प्रभात झा सहित अन्य कई नेता मौजूद रहे।

इन नेताओं ने बैठक में खुले तौर पर यह बताया कि प्रभारी मंत्रियों ने अपने-अपने क्षेत्र के न तो पर्याप्त दौरे किए हैं और न ही इन दौरों के दौरान उन्होंने स्थानीय कार्यकर्ताओं को महत्व दिया है। इतना ही नहीं, क्षेत्रीय विधायकों ने भी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की है और इसी का नतीजा है कि प्रशासनिक मशीनरी ने भी कार्यकर्ताओं को ज्यादा महत्व नहीं दिया। फीडबैक के अनुसार जिला स्तर के पदाधिकारी भी मंत्रियों और विधायकों के क्रियाकलापों से खुश नहीं हैं। कुल मिलाकर वर्तमान स्थिति में चुनाव हो जाए तो बीजेपी 100 सीट भी नहीं ला पाएगी।