रेप किया पर जिंदा तो छोड़ दिया... ये उसकी दयालुता थी, MP हाईकोर्ट ने कम कर दी रेपिस्ट की सजा

निचली अदालत ने दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, हालांकि, उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए सजा कम कर दिया कि आरोपी ने बच्ची के साथ रेप तो किया लेकिन जिंदा भी छोड़ दिया।

Updated: Oct 23, 2022, 05:06 AM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश में एक रेपिस्ट की सजा इसलिए कम कर दी गई क्योंकि उसने बलात्कार के बाद 4 साल की बच्ची को जिंदा छोड़ दिया था। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने दोषी की उम्रकैद की सजा को कम कर 20 साल कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने रेपिस्ट के बचाव में अजीबोगरीब तर्क देते हुए कहा कि रेप के बाद उसने बच्ची को जिंदा छोड़ दिया। यह उसकी दयालुता थी।

जस्टिस सुबोध अभयंकर और एसके सिंह की बेंच ने हाल में दोषी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे राहत देने का फैसला सुनाया था। बेंच ने कहा कि, 'चुंकि रेप के बाद अभियोजक ने बच्ची को जिंदा छोड़ दिया, ये उसकी दयालुता थी, इसीलिए आजीवन कारावास की उसकी सजा को कम किया जा सकता है। हालांकि उसे 20 साल कठोरतम सजा काटनी होगी।'

दरअसल, याचिकाकर्ता को 4 साल की बच्ची के साथ रेप के आरोप में IPC की धारा-376(2)(F) के तहत सजा सुनाई गई थी। निचली अदालत द्वारा मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील की। उसने कोर्ट के सामने दलील दी कि यह मामला ऐसा नहीं है कि उसे उम्रकैद की सजा सुनाई जाए।

यह भी पढ़ें: आँसुओं से भरे दिए में डूब गई दिवाली

कोर्ट ने उसके दोष को बरकरार रखा। हालांकि, दलीलें सुनने के बाद यह जरूर कहा कि उसने  रेप तो किया लेकिन बच्ची को जिंदा छोड़ा। इसी आधार पर कोर्ट ने उसकी सजा को कम करने की अनुमति दे दी।हाईकोर्ट की इस टिप्पणी की चौतरफा आलोचना हो रही है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक आरोपी लड़की के परिवार की झोपड़ी के पास एक तंबू में रहता था, वे सभी मजदूर के रूप में काम करते थे। आरोपी ने बच्ची को एक रुपये देने के बहाने अपनी झोपड़ी में बुलाया था और बलात्कार की घटना को अंजाम दिया। लड़की की दादी ने आरोपी को उसके साथ बलात्कार करते हुए देखा। उसकी गवाही और मेडिकल सबूत ने साबित कर दिया कि लड़की के साथ वास्तव में बलात्कार किया गया था।