MP By Election: शिवराज की जुबानी सरकार गिराने की कहानी, जिसका जनादेश लूटा उसी को सुनाया किस्सा

Shivraj Singh Chouhan: शिवराज चौहान ने कई चुनावी सभाओं में बड़े फख्र से सुनाए सरकार गिराने के किस्से, कई दल-बदलू विधायकों की पोल भी खोली

Updated: Oct 16, 2020, 05:35 PM IST

Photo Courtesy: ABP News
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मैंने गिर्राज से कहा, कहां फंसे हो यार, साथ आओ, सरकार गिरा दो - यह वो किस्सा है जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब चुनावी सभाओं में मज़े ले-लेकर सुना रहे हैं। उन्होंने कमलनाथ सरकार को गिराने के अपने ‘पराक्रम’ के ऐसे किस्से गुरुवार को को दिमनी, जौरा, मेहगांव और गोहद विधानसभा क्षेत्र की चुनावी सभाओं में बड़ी शान से सुनाए।

चुनावी सभाओं में शिवराज सिंह चौहान के ऐसे बयान आम चुनावी भाषण नहीं, दिलचस्प क़बूलनामा हैं। वे बड़े फ़ख़्र से सुना रहे हैं कि मध्य प्रदेश की जनता के वोटों से बनी कमलनाथ सरकार उन्होंने किस तरह गिराई। और सुना भी किसे रहे हैं, उसी जनता को, जिसने कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस को सत्ता सौंपी थी और ख़ुद शिवराज को कुर्सी से उतरने का आदेश दिया था। यानी जिस जनता जनार्दन के आदेश की आपने तौहीन की, उसी को बता रहें कि देखो हमने कितना महान काम किया!

दिमनी के जीगनी की सभा में उन्होंने कहा कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। हमने सोचा कि अब तो सिर्फ आंदोलन ही करेंगे, लेकिन जब सरकार की स्थिति देखी तो मैंने गिर्राज (दंडोतिया) से कहा कि कहां फंसे हो यार, हमारे साथ आओ, सरकार गिरा दो। इसी से जुड़ा दूसरा किस्सा शिवराज ने गोहद के मालनपुर में सुनाते हुए कहा कि सिंधिया जी से पहले हमारे पास रणवीर जाटव (गोहद के तत्कालीन विधायक) आए थे। मुझसे कहा कि इस सरकार को चलना नहीं चाहिए। रणवीर बोले कि चाहे कुछ हो जाए, इस सरकार को हम गिराकर ही चैन लेंगे।

चुनावी सभाओं में कमलनाथ सरकार को गिराने के ऐसे किस्से सुनाते समय शायद शिवराज सिंह चौहान को यह भी याद नहीं रहता कि सरकार गिराने के जिस कारनामे को वे बड़ी शान से सुना रहे हैं, उसी ने कोरोना महामारी के इस दौर में अब तक के सबसे बड़े उपचुनावों का बोझ और ख़तरा मध्य प्रदेश की जनता पर लाद दिया है। जो शख़्स 15 साल तक सूबे का मुख्यमंत्री रहा हो, वो अगर जनता की चुनी हुई सरकार को गिराने के क़िस्से अपनी उपलब्धि के तौर पर सुनाए तो यह उसके अपने कामकाज पर किस तरह की टिप्पणी है यह भी मध्य प्रदेश की समझदार जनता खूब जानती है।

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जनता के वोटों से बनी सरकार गिराने को अपनी उपलब्धि बताने का यह तेवर सिर्फ़ शिवराज चौहान ही नहीं दिखा रहे। उनके एक दलबदलू सहयोगी और मांधाता से बीजेपी उम्मीदवार नारायण पटेल भी हाल ही में कह चुके हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहें तो पूरी कांग्रेस को ख़रीद सकते हैं। यानी मुख्यमंत्री शिवराज चौहान हों या उनके सहयोगी, उन्हें शायद यह याद ही नहीं रहता कि लोकतंत्र में सरकार बनाना और गिराना देश-प्रदेश के मतदाताओं का मूलभूत लोकतांत्रिक अधिकार है, अगर कोई दौलत या तिकड़म के दम पर इस अधिकार को छीनने का काम करता है तो जनता उसे सबक़ ज़रूर सिखाती है।