कांग्रेस नेता जयवर्धन सिंह का आरोप, कोरोना के ग़लत आँकड़ों के आधार पर स्थगित हुआ विधानसभा सत्र
जयवर्धन सिंह ने कहा है कि केवल आठ लोग ही कोरोना से संक्रमित थे, जबकि शिवराज सरकार ने बताया था कि विधानसभा के 35 कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हुए हैं

भोपाल। कांग्रेस नेता जयवर्धन सिंह ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र को स्थगित किए जाने के मामले में बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है। जयवर्धन सिंह के अनुसार शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र कोरोना के गलत आंकड़ों के आधार पर स्थगित कर दिया।
जयवर्धन सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा है कि 'खबर मिली है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के 34 कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी असत्य है। जयवर्धन सिंह ने कहा है कि हकीकत में 8 लोगो की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी जिसमें सचिवालय के 4 कर्मचारी, 3 विधायक एवं एक विधायक पति थे।'
प्रोटेम स्पीकर दें सफाई : जयवर्धन
जयवर्धन सिंह ने शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि बड़ा सवाल यही है कि आखिर विधानसभा सत्र को स्थगित करने के लिए झूठी ख़बर को आधार क्यों बनाया गया? जयवर्धन सिंह ने छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत संक्रमित थे, फिर भी वहाँ की सरकार ने सदन चलाया। लेकिन मध्य प्रदेश में पूरी परिस्थिति की जांच किए बिना और झूठी जानकारी देकर सदन स्थागित कर दिया गया। जयवर्धन सिंह ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा को इस मसले पर सफाई देनी चाहिए।
मूल प्रश्न ये है की झूठी ख़बर को आधार क्यो बनाया गया?
— Jaivardhan Singh (@JVSinghINC) December 31, 2020
छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत संक्रमित थे लेकिन फिर भी वहाँ की सरकार ने सदन चलाया।
पूरी परिस्थिति परीक्षण के बिना एवं झूठी जानकारी देकर सदन स्थागित कर दिया गया
प्रोटेम स्पीकर को इस पर सफाई देना चाहिये। (2/2)
दूसरी तरफ मध्यप्रदेश विधानसभा में पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति के सदस्य पवन देवलिया ने भी कोरोना के फर्जी आंकड़े के आधार पर विधानसभा सत्र को स्थगित किए जाने का दावा किया है। पवन देवलिया ने यह दावा किया है कि जिन 281 कमर्चारियों का कोविड टेस्ट हुआ वे कर्मचारी विधानसभा सचिवालय के न होकर विधायक विश्राम गृह और राजधानी परियोजना में कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों का एंटीजन टेस्ट किया गया जिसमें 34 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव आई। हालांकि इसके बाद इन लोगों को दोबारा हुई कोरोना जांच की रिपोर्ट अब तक नहीं दी गई है। और यह कर्मचारी अभी तक अवकाश पर हैं।
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पवन देवलिया ने दावा किया है कि विधानसभा सचिवालय से संबंधित केवल चार लोग ही थे जिनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसमें बीडी गोयल (अनुसंधान अधिकारी), संजय शर्मा( सरकार अधिकारी), कांति टोपो ( टाइपिस्ट, संविदा), और हरिसिंह सैनी (चौकीदार) कोरोना से संक्रमित थे। जबकि तीन विधायक और एक विधायक पति कोरोना से संक्रमित थे। इस लिहाज से ऐसे केवल आठ लोग ही विधानसभा से संबंधित थे जो कि कोरोना से संक्रमित थे।
दरअसल मध्य प्रदेश में 28 दिसंबर से तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र की शुरुआत होनी थी। इससे पहले विधानसभा के कर्मचारियों, अधिकारियों और विधायकों के कोरोना से संक्रमित होने की बात सामने आई। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में लगभग 50 लोगों के कोरोना से संक्रमित होने का दावा किया गया। इसके बाद राज्य सरकार ने कोरोना का हवाला देकर सत्र को स्थगित कर दिया। अब कांग्रेस नेता जयवर्धन सिंह के दावे ने प्रदेश की सियासत में सरगर्मी बढ़ा दी है।
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मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र में शिवराज सरकार कथित लव जिहाद को रोकने के नाम पर लाए गए विवादास्पद बिल के साथ ही कई अन्य विधेयक भी पेश करने वाली थी। इसके साथ ही शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस विधायक प्रदेश के किसानों के साथ ट्रैक्टर और ट्रॉलियों पर सवार होकर विधानसभा का घेराव करने वाले थे। हालांकि कांग्रेस के प्रदर्शन को रोकने की तैयारी पहले से ही शुरू हो चुकी थी। पहले भोपाल प्रशासन ने विधानसभा परिसर के आस पास धारा 144 लागू की। लेकिन कांग्रेस के प्रदर्शन के दृढ़ संकल्प को देखते हुए और किसानों की बढ़ती नाराज़गी के बीच प्रशासन ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए विधानसभा परिसर के पांच किलोमीटर के दायरे तक ट्रैक्टर, ट्रॉलियों के प्रवेश को भी प्रतिबंधित कर दिया। लेकिन इन सबके बावजूद कांग्रेस दावा करती रही कि वो हर हाल में किसानों के समर्थन में विधानसभा का घेराव करेगी। तभी अचानक से विधानसभा कर्मचारियों को बड़ी संख्या में कोरोना इंफेक्शन होने का मुद्दा आया और विधानसभा का सत्र स्थगित हो गया।