RTI के तहत जानकारी न देना महिला अधिकारी को पड़ा भारी, सूचना आयुक्त ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट
लगातार 38 बार समन भेजने के बावजूद आयोग के सामने हाजिर नहीं हुई ब्लॉक ऑफिसर, राज्य सूचना आयुक्त ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट, मध्य प्रदेश के इतिहास में दूसरी बड़ी कार्रवाई
भोपाल। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी न देना रीवा की ब्लॉक पंचायत अधिकारी को भारी पड़ गया। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने संबंधित अधिकारी के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। मध्य प्रदेश के इतिहास में यह दूसरी बार है जब RTI के तहत जानकारी न देने के मामले में किसी अधिकारी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुई हो। देशभर में भी ऐसे गिने-चुने ही केस हैं जिनमें आवेदक को जानकारी न देने वाले अधिकारियों के खिलाफ सूचना आयोग ने इस तरह की कार्रवाई की हो।
दरअसल, रीवा के रायपुर कर्चुलियान जनपद पंचायत और रीवा जनपद पंचायत की ब्लॉक पंचायत ऑफिसर सुरभि दुबे को सूचना आयोग ने 38 बार समन भेजा था। लेकिन वह एक भी बार हाजिर नहीं हुईं। इसके बाद यह कार्रवाई की गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अलग-अलग आवेदकों ने ग्राम पंचायत के संबंध में बजट, निर्माण कार्य से संबंधित जानकारियां मांगी थीं। इस संबंध में कुल 6 आरटीआई आवेदन साल 2020 में मिले थे। लेकिन अधिकारी ने बिना कोई कारण बताए कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया।
Have issued Show Cause Notices (SCN) penalty totaling Rs 125000 against PIO for all the 6 appeals. Despite 38 summons, SCN under section 20 & repeated reminders, PIO remains defiant and refuses to provide information and appear before SIC.
— Rahul Singh (@rahulreports) March 29, 2022
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मामला राज्य सूचना आयोग के पास पहुंचने के बाद भी सुरभि दुबे के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया। आयोग के कहने पर भी उन्होंने सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जानकारी देने से मना कर दिया। महिला अधिकारी ने आयोग के समक्ष एक लाइन का कथन यह पेश कराया था कि वह जानकारी को उपलब्ध नहीं करा सकती। संबंधित अधिकारी को सूचना आयोग की ओर से एक के बाद एक कुल 38 बार समन भेजे गए। लेकिन वह एक बार भी आयोग के समक्ष हाजिर नहीं हुईं।
हद तो तब हो गई जब महिला अधिकारी ने उल्टे आयोग को वॉट्सऐप पर मैसेज भेजा कि मुझे सुनवाई के लिए परेशान न किया जाए। इतना ही नहीं उसने राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के निजी सचिव को फोन कर आयोग की कार्यप्रणाली पर टीका टिप्पणी की। महिला अधिकारी के इस अकर्मण्य रवैए से सूचना आयुक्त के भी सब्र का बांध टूट गया। उन्होंने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए राज्य सूचना आयुक्त ने सामान्य प्रशासन विभाग को आरोपी के विरुद्ध मध्य प्रदेश सेवा आचरण नियम के तहत अनुशासनिक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया।
आयोग के निर्णय की लगातार अवहेलना के बाद राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने धारा 19 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए दुबे के स्थान पर नए पीआईओ को तैनात करने के आदेश कमिश्नर पंचायत विभाग को जारी किए। पंचायत विभाग ने पत्र लिखकर रीवा के जिला पंचायत सीईओ ने आयोग के आदेश का हवाला देते हुए कार्रवाई करने को लिखा। पर आयोग का यह निर्देश भी विफल साबित हुआ। सीईओ जिला पंचायत ने भी आयोग के आदेश के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की। सीईओ के स्तर पर हुई इस लापरवाही को भी आयोग ने गंभीरता से लिया है और जिला पंचायत सीईओ स्वप्निल जी वानखेड़े को व्यक्तिगत रुप से आयोग के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है।
उधर महिला अधिकारी सुरभि दुबे के नाम गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए सूचना आयुक्त ने 5 हजार रुपए जमानत की रकम तय की है और 21 अप्रैल तक आयोग कार्यालय में उपस्थित होने के आदेश जारी किए हैं। अब स्थानीय पुलिस राज्य सूचना आयोग के वारंट की तामीली करा कर संबंधित अधिकारी को थाने बुलाकर 5000 रुपए के मुचलके पर इस शर्त पर छोड़ेगी कि वह राज्य सूचना आयोग के समक्ष सुनवाई में उपस्थित होंगी। संबंधित अधिकारी द्वारा मुचलका भरने से मना करने अथवा आयोग के समक्ष उपस्थित होने से मना करने की स्थिति में पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजेगी।
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने हम समवेत से बातचीत के दौरान इस पूरे मामले को बेहद निराशाजनक एवं दुखदाई करार दिया है। उन्होंने कहा कि, 'अधिकारी के अकर्मण्य रवैये के चलते पिछले चार माह में सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई। आयोग को इस तरह की करवाई करने को मजबूर होना पड़ रहा है। अधिकारी जिनका कर्तव्य है कि RTI एक्ट के तहत जनता के प्रति जवाबदेह बने, वे खुलेआम आरटीआई एक्ट की पूरी कार्यप्रणाली की धज्जियां उड़ा रहे हैं। RTI एक्ट संविधान के अनुच्छेद 19 (1) मे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार का हिस्सा है।'