पोषण आहार सप्लाई में 110 करोड़ का घोटाला, मृत बच्चों के नाम पर लिए गए फंड: कांग्रेस

मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने आरोप लगाया है कि जो बच्चे स्कूल नहीं जाते, कई बच्चो की मौत हो गई, उनके नाम का राशन भी सरकार द्वारा निकाला जा रहा है।

Updated: Feb 04, 2025, 08:20 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने प्रदेश सरकार द्वारा संचालित पोषण आहार योजना मे बड़े भ्रष्टाचार आरोप लगाया है। मंगलवार को पीसीसी में प्रेसवार्ता में नायक ने कहा कि जो बच्चे स्कूल नहीं जाते, कई बच्चो की मौत हो गई, उनके नाम का राशन भी सरकार द्वारा निकाला जा रहा है।

मुकेश नायक ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मध्यान्ह भोजन के तहत 88119 केंद्र संचालित किए जाते हैं, जिनमें 1 करोड़ 9 लाख बच्चे रजिस्टर्ड हैं। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मध्यान भोजन योजना के तहत वर्ष 2024-25 के लिए इन बच्चों को 2190 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई थी, जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। वहीं प्रदेश में 453 बाल विकास परियोजनाओं के अंतर्गत 84465 आंगनबाड़ी केंद्र और 12670 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिसमें 80 लाख हितग्राही बच्चों को पोषण आहार देने की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है, योजना में 50 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है। यानि 12 रू. प्रति बच्चें मप्र सरकार द्वारा दिया जाता है, जिसे बढ़ाकर 18 रू. का प्रस्ताव सरकार ने दिया है, लेकिन इस निर्णय कर कोई दिखाई देने वाली कार्यवाही सरकार द्वारा नहीं की गई।

नायक ने आगे कहा कि जो बच्चे स्कूल नहीं जाते, कई बच्चो की मौत हो गई, उनके नाम का राशन भी सरकार द्वारा निकाला जा रहा है। क्या 100 फीसदी बच्चों रोज स्कूल आते हैं? मध्यान्ह भोजन शुरूआते में आकर्षण का केंद्र था, लेकिन धीरे-धीरे यह योजना बच्चों के लिए कोई बड़ा आकर्षण नहीं रहीं, ऐसी स्थिति में 40 प्रतिशत बच्चों स्कूलों में नहीं आते, इतनी लचर, अव्यवस्थित और गुणवत्ता विहीनता के बाद भी 201 करोड़ का पुरूस्कार भी सरकार ने ले लिया, और गलत तरीके से पुरूस्कार का उल्लेख भी सीएजी की रिपोर्ट में किया गया है। 

नायक ने कहा कि मध्य प्रदेश में एमडीएम योजना 1995 से लागू की गई, योजना के तहत प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को 100 ग्राम मिडिल स्कूल के बच्चों को 150 ग्राम गेहूं अथवा चावल दिया जाता है। वहीं प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए 100 ग्राम प्रति बच्चा प्रतिदिवस की दर से और उच्च प्राथमिक कक्षाओं को 150 ग्राम प्रति बच्चा प्रतिदिन की दर से भारतीय खाद्य निगम के निकटस्थ गोदाम से निःशुल्क खाद्यान की आपूर्ति की जाती है। 

नायक ने कहा कि मनुष्य में दया, करूणा, मानवता, उदारता होती है, लेकिन सरकार में बैठे लोग अपने ही बच्चों का अनाज खा रहे हैं, और अपने ही बच्चों को खा जाने का स्वभाव जानवरों में होता है, जिस राज्य का 50 प्रतिशत अनाज सरकार खा जाये तो यह पशुओं से ज्यादा भयावह लोग सरकार में बैठे हैं। नायक ने बताया कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में पोषण आहार में हुये भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा खुलासा किया है, जिसमें परिवहन विभाग भी संलिप्त है। पोषण आहार सप्लाई में परिवहन करने वाले वाहनों में स्कूटर, मोटर साईकिल का उपयोग किया गया है, जिससे एक साथ सैकड़ों क्विंटल माल सप्लाई का हवाला दिया गया है। सरकार का पोषण आहार सप्लाई में 110 करोड़ का घोटाला कर भ्रष्टाचार का बड़ा कारनामा है। एक और सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार मप्र में 428 करोड़ के मध्यान भोजन योजना में घोटाला सामने आया है।

नायक ने कहा कि कुपोषण के मामले में भारत दुनिया में नंबर एक पर हैं, वहीं देश में मप्र कुपोषण के मामले में नंबर एक पर है। गलत आंकड़े देकर पोषण आहार के नाम पर पुरूस्कार लिया गया है। वहीं 2000 करोड़ का फंड पोषण आहार के लिए सरकार द्वारा जारी किया गया, जो भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ गई। इन बीस सालों में जिन बच्चों की मृत्यु हो गई वे योजना में रजिस्टर्ड हैं, योजना को संचालित करने वाले जो व्यवस्थापक हैं वे ही बच्चों के पोषण आहार की राशि डकार गए।