धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं, भोपाल में आयोजित धर्म-धम्म सम्मेलन में बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू

भोपाल में आयोजित धर्म-धम्म सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में सीएम शिवराज सिंह चौहान कहा कि इस चिंतन से जो अमृत निकलेगा, वह दुनिया को शाश्वत शांति का पथ दिखाने में सहायक होगा।

Updated: Mar 03, 2023, 06:42 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शुक्रवार को 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन 2023 का शुभारंभ महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया गया। सम्मेलन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सहभागिता की। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "महर्षि पतंजलि, गुरु नानक, भगवान बुद्ध ने दुख से निकलने के मार्ग सुझाए हैं। मानवता के दुख के कारण का बोध करना और इस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना पूर्व के मानववाद की विशेषता है। ये आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की पद्धति स्थापित की। भगवान बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग प्रदर्शित किया। गुरु नानक देव जी ने नाम सिमरन का रास्ता सुझाया, जिसके लिए कहा जाता है- नानक नाम जहाज है, चढ़े सो उतरे पार।"

राष्ट्रपति ने आगे कहा, "कभी-कभी कहा जाता है कि धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं है। धर्म-धम्म की अवधारणा भारत चेतना का मूल स्तर रही है। हमारी परंपरा में कहा गया है- धारयति- इति धर्मः। अर्थात जो सब को धारण करे, वही धर्म है। धर्म की आधारशिला मानवता पर टिकी है। राग और द्वेष से मुक्त होकर, अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज निर्माण करना पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है। नैतिकता पर आधारित व्यक्तिगत आचरण और समाज पूर्व के मानववाद का व्यवहारिक रूप है।"

इस दौरान राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा, "हमारे देश की सदियों पुरानी परंपरा विश्व जाति और मानव जाति के कल्याण में विश्वास रखती है। हमारी मान्यता इस विश्वास में निहित है कि विश्व सबके लिए है, युद्ध की कोई आवश्यकता नहीं है। मानवता के कल्याण के लिए शांति, प्रेम और विश्वास जरूरी है। ऋषियों का चिंतन ही आज के समय में समाधान का रास्ता प्रस्तुत करता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य दो प्राचीन सभ्यताओं के बीच सद्भाव को बढ़ा देना है। मुझे उम्मीद है कि यह सम्मेलन युद्ध और पीड़ा से कराहते विश्व को शांति का मार्ग दिखाने में सक्षम होगा।"

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वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि धर्म-धम्म सम्मेलन भोपाल में हो रहा है। धर्म-धम्म का पहला सिद्धांत सभी जीवों के साथ दया और सम्मान के साथ व्यवहार करना है। आज विद्वानों के चिंतन से जो अमृत निकलेगा, मुझे विश्वास है कि वो विश्व को दिग्दर्शन देगा। भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है। एक ही चेतना समस्त जड़ और चेतन में विद्यमान है, यही भारत का मूल चिंतन है। इसीलिए भारत में कहा गया- सियाराम मय सब जग जानी, अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।"

भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में हो रहे 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में 15 देशों के 350 से ज्यादा विद्वान और 5 देशों के संस्कृति मंत्री शामिल हुए। 'नए युग में मानववाद' के सिद्धांत पर केंद्रित सम्मेलन 5 मार्च तक चलेगा। धर्म-धम्म के वैश्विक विचारों को मंच प्रदान करने वाले सम्मेलन में भूटान, मंगोलिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाइलैंड, वियतनाम, नेपाल, दक्षिण कोरिया, मॉरिशस, रूस, स्पेन, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन की सहभागिता है।