सरकारी नौकरी नहीं मिलने से दुखी अतिथि शिक्षिका ने की खुदकुशी, कम वेतन मिलने से थी परेशान

अस्थाई नौकरी और कम वेतन से तंग आकर आदिवासी शिक्षिका ने की आत्महत्या, कीटनाशक पीकर मौत को लगाया गले, अतिथि शिक्षक संघ ने साधा सरकार पर निशाना

Updated: Feb 05, 2022, 01:09 PM IST

Photo Courtesy: The new Indian express
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अलीराजपुर। जिले के कवठु गांव में एक अतिथि शिक्षका ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। आदिवासी युवती सरकारी प्रायमरी स्कूल पटेल फालिया में अतिथि शिक्षक के तौर पर पढ़ाती थी। इस काम के लिए उसे बेहद कम वेतन मिलता था। जिसकी वजह से वह पैसों की कमी से जूझ रही थी। मृतका का नाम केलबाई भयडिया था। वह सरकारी नौकरी करना चाहती थी, इस अस्थाई नौकरी और कम सैलरी मिलती थी, जिसे लेकर वह डिप्रेशन में आ गई थी। तंग आकर उनसे गांव के खेत में कीटनाशन पीकर सुसाइड कर लिया। उसका शव स्कूल और घर के बीच पड़ने वाले खेत में मिला है। पास ही कीटनाशक की शीशी भी मिली है। फिलहाल पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।

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घटना गुरुवार की है, मामला सामने आने पर अतिथि शिक्षक संघ ने इस पर संज्ञान लिया है, अतिथि शिक्षक संघ ने शासन को आड़े हाथों लेते हुए अतिथि शिक्षकों के भविष्य की चिंता करने की मांग की है। उनका कहना है कि अतिथि शिक्षकों का परिवार गरीबी झेलने को मजबूर है। नियमितिकरण नहीं होने और सरकारी नौकरी नहीं मिलसे से दुखी अतिथि शिक्षक आए दिन जान दे रहे हैं, संघ की मांग है कि अतिथि शिक्षकों के हित में सरकार कोई सकारात्म फैसला ले जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। प्रदेश के स्कूलों में पढ़ा रहे अतिथि शिक्षकों को तय मानक से कम वेतन का भुगतान किया जा रहा है। वर्ग 3 के अतिथि शिक्षकों को केवल 3500 दिया जाता है। वहीं वर्ग 2 के शिक्षकों को 5500 और वर्ग 1 को 7500 रुपए मिलते हैं। अतिथि शिक्षिका की आत्महत्या मामले में पुलिस ने शव के पोस्टमार्टम के बाद घरवालों को सौंप दिया है, पुलिस ने मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

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समय-समय पर अथिति शिक्षक अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करते हैं। उनकी मांग है कि राइट टू एजुकेशन एक्ट से जुड़े अधिनियम के अनुसार किसी भी स्कूलों में शिक्षकों का वेतन 15 हजार रुपये से कम वेतन नहीं होना चाहिए, लेकिन मध्यप्रदशे सरकार इस नियम का पालन नहीं करती। यहां अतिथि शिक्षकों को 3 से 9 हजार रुपये तक का वेतन देकर काम करवाया जाता है। जनवरी में सरदारपुर में भी अतिथि शिक्षकों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर स्थानीय विधायक को ज्ञापन सौंपा था।