Ajrakh Covest : भारत में बना पहली कोविड स्मार्ट जैकेट
Corona Update: 99.4 फीसदी कीटाणु मारने में सक्षम जैकेट, मास्क, चाबियां, मोबाइल, दस्ताने को कीटाणु मुक्त रखने की विशेष व्यवस्था

अहमदाबाद। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के पूर्व प्रोफेसर व दिल्ली के शिल्प ग्राम के सह-संस्थापक सोमेश सिंह ने कारीगरों के साथ मिलकर एक कोविड स्मार्ट जैकेट तैयार की है। यह स्मार्ट जैकेट सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देशों का पालन करने में काफी सहायक है। सिंह का दावा है कि यह मास्क, चाबियां, दस्ताने, मोबाइल फोन व अन्य सामानों को सैनिटाइज करने में भी सक्षम है। रिपोर्ट के मुताबिक इस जैकेट को बनाने में 4,999 रुपए से अधिक रुपए की लागत है।
अंग्रेजी मैगजीन डाउन टू अर्थ ने सोमेश के हवाले से बताया है कि लॉकडाउन के तुरंत बाद उन्हें एहसास हुआ कि कोविड-19 महामारी से जल्द निजात नहीं मिलने वाली है। उनकी पहली चिंता यह थी कि लोग एक-दूसरे से दूरी बनाकर कैसे रह पाएंगे। इसके अलावा रोजमर्रा के सामानों को संक्रमण मुक्त रखना एक चुनौती था। इसके बाद उन्होंने अपने अनुभव से एक ऐसी जैकेट ईजाद की जो लोगों को बेफिक्र होकर बाहर निकलने में मदद कर सकती है। इसका नाम 'कोवेस्ट' (Covest) रखा गया है।
सिंह ने डाउन टू अर्थ को बताया है कि इसमें सोशल डिस्टेंसिंग को पालन करने के लिए इनबिल्ट सेंसर है जिसकी मदद से आपके चारो ओर सुरक्षा कवच तैयार हो जाता है। बैटरी से चलने वाले इस जैकेट में थर्मामीटर, मैजिक सैनिटेशन पॉकेट्स व मास्क भी लगाए गए हैं। सिंह का दावा है कि जब कभी आप भीड़-भाड़ वाली जगहों में जाते हैं तो इसमें सेंसर पर लगे स्विच को ऑन करने से आपके चारों ओर दो मीटर की सुरक्षित सीमा बन जाएगी। इस दौरान यदि कोई उसके भीतर आएगा तो उसमें लगे अलार्म बजने लगेंगे। ताकि आप दूसरों से दूरी बनाए रख सकें। कई बार लोग बाहर निकलते वक्त मास्क लेना भूल जाते हैं जिसके लिए इसमें चार परत का मास्क है जो 99.4 प्रतिशत तक कीटाणुओं से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
इस जैकेट में मास्क, चाबियां, मोबाइल, दस्ताने व अन्य वस्तुओं को कीटाणु मुक्त रखने के लिए विशेष प्रकार का व्यवस्था की गई है। इसके पॉकेट्स में ऐसे यंत्र लगे हैं जो अल्ट्रा वायलेट किरणें उत्सर्जित करते हैं जिससे जेब में रखे सामान महज 30 सेकंड में कीटाणु मुक्त हो जाते हैं। हालांकि सोमेश ने सीमेंट फैब्रिक का उपयोग करके इस उत्पाद का प्रारंभिक प्रोटोटाइप तैयार किया है जिसमें एक चमड़े की आकृति है। फाइनल प्रोडक्ट में अजरख डिजाइन (ब्लॉक प्रिंटिंग) के साथ कपड़े का उपयोग किया गया है।
मुख्य रूप से इसे गुजरात के भुज के कारीगर अब्दुल जब्बार खत्री द्वारा तैयार किया गया है। जब्बार को हस्तशिल्प के पारंपरिक रूप के लिए विश्व शिल्प परिषद और यूनेस्को द्वारा कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। फिलहाल कोवेस्ट के निर्माण में 30 कारीगर लगे हुए हैं वहीं इसकी लागत मूल्य 4,999 रुपए से अधिक है। सिंह बताते हैं कि महामारी खत्म होने के बाद यह वस्त्र उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है जो नेत्रहीन हैं और जिन्हें नेवीगेशन की आवश्यकता होती है।