उत्तर प्रदेश में राम भरोसे हैं हेल्थ सिस्टम, इलाहाबाद हाइकोर्ट ने की तीखी टिप्पणी

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में एक प्राथमिक केंद्र पर तीन लाख लोगों के इलाज की जिम्मेदारी, वहां भी मजह कुल जनसंख्या के 0.01% लोगों के लिए बेड हैं मौजूद, कोर्ट ने प्रदेश के चार मेडिकल कालेजों को SGPGI स्तर की सुविधा युक्त बनाने का आदेश दिया

Updated: May 18, 2021, 06:47 AM IST

Photo courtesy: Wikipedia
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इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर ने तबाही मचा रखी है, लाख कोशिशों के बाद भी शहरों के बाद कोरोना का संक्रमण राज्य के छोटे शहरों, कस्बों, गांवों तेजी से पैर पसार रहा है, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल हैं, जिन अस्पतालों में सामान्य समय में मरीजों के लिए सुविधाएं नहीं मिल पाती, उन अस्पतालों में महामारी की वजह से मरीजों का तातां लगा है, ऐसे में हेल्थ सिस्टम पूरी तरह चरमरा गया है। 

सोमवार को इलाहाबाद हाइकोर्ट में एक याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को राम भरोसे बताया। हाईकोर्ट ने गांवों और छोटे शहरों में स्वास्थ्य सुविधाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में सब कुछ राम भरोसे चल रहा है। सुनवाई दो जजों की बेंच कर रही थी, जिसमें जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और अजीत कुमार ने यह तल्ख टिप्पणी की। यूपी में कोरोना मरीजों के अच्छे इलाज और उनकी उचित देखभाल की मांग के लिए कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। इसी की सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि छोटे शहरों और गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे ही है।

 कोर्ट स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सुविधाओं की कमी है। कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य के ग्रामीण इलाकों की जनसंख्या 32 लाख है तो वहां केवल 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र याने CHC मौजूद हैं। कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे में एक स्वास्थ्य केंद्र पर 3 लाख लोगों के इलाज कि जिम्मेदारी है। वहीं 3 लाख लोगों की जनसंख्या वालें स्वास्थ्य केंद्र में मजह 30 पलंग मौजूद हैं। याने एक CHC में कुल ग्रामीण जनसंख्या के 0.01 प्रतिशत लोगों के इलाज की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। 

 गौरतलब है कि कोर्ट मेरठ मेडिकल कॉलेज में 64 वर्षीय मरीज संतोष कुमार की आइसोलेशन वार्ड में मौत हो गई थी। और अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को बिना बताए मरीज का अंतिम संस्कार करा दिया था। जबकि परिजन अपने मरीज को तलाशते रहे। इस मामले में कोर्ट ने अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और बुजुर्ग के परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया है।

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वहीं कोरोना के हालात से निपटने के लिए कोर्ट ने सरकार को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।जिसमें कहा गया है कि बड़े औद्योगिक घराने दान वाला फंड वैक्सीन खरीदने में लगाएं। चार महीने में मेडिकल कालेज अस्पतालों को सर्व सुविधायुक्त बनाया जाए, कोर्ट ने कहा कि BHU, वाराणसी, आगरा, मेरठ, गोरखपुर, प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज को 4 महीने में SGPGI  सुविधायुक्त बनाया जाए। कोर्ट ने सरकार से 22 मई की सुनवाई में मेडिकल कॉलेज के अपग्रेडेशन प्लान पेश करने को कहा है।

कोर्ट ने हर छोटे शहरों में 20 एंबुलेंस, गांवों में0020 ICU सुविधा वाली 2 एंबुलेंस की व्यवस्था करने को कही है। साथ ही नर्सिंग होम्स की सुविधाओं को अपग्रेड करने के निर्देश दिए हैं। 20 पंलग वाले नर्सिंग होम के 40 प्रतिशत बेड ICU वाले करने को कहा है। वहीं नर्सिंग होम्स में 25 फीसदी बेड वेंटीलेटर युक्त, 50फीसदी बाइपेप मशीन और 25 फीसदी पर हाई फ्लो नेजल कैनुला की सुविधा उपलब्ध हो। ऑक्सीजन की कमी पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट कहा है कि 30 बेड वाले नर्सिंग होम का अपना ऑक्सीजन प्रोडक्शन प्लांट रखा जाए।