इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पकड़ी योगी सरकार की हेराफेरी, कोरोना के मामले कम दिखें, इसलिए यूपी में कम कर दी गई टेस्टिंग

हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार महज़ सौ रुपए में मरीजों को तीन समय का भोजन कैसे उपलब्ध करा रही है, हाई कोर्ट ने राज्य में लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली एम्बुलेंस की कमी पर भी नाराज़गी ज़ाहिर की है

Publish: May 12, 2021, 08:57 AM IST

Photo Courtesy: The Indian Express
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लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी सरकार की हेराफेरी पकड़ ली है। योगी सरकार ने राज्य में कोरोना के मामलों को कम कर दिखाने की एवज में कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार ही धीमी कर दी। इस बात खुलासा उत्तर प्रदेश के गृह सचिव द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर किए गए हलफनामे में हुआ है। हाई कोर्ट ने राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के बदतर हालात और मरीजों की देखरेख सेंजुदे मसले पर भी राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई है। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दायर हलफनामे के संबंध में कहा है कि कोर्ट में पेश किए हलफनामे से यह साफ जाहिर होता है कि सरकार ने कोरोना टेस्टिंग की संख्या घटा दी। हाई कोर्ट ने हलफनामे में 22 अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन के आंकड़े न देने के किए भी योगी सरकार को फटकारा है। हाई कोर्ट ने कहा है कि लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली एम्बुलेंस की संख्या भी बेहद कम है।

इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा है कि राज्य सरकार को यह बताना चाहिए कि कैसे एक मरीज़ को महज़ सौ रुपए में वो तीन वक्त का भोजन उपलब्ध करा रही है। हाई कोर्ट ने कहा कि त्रिस्तरीय श्रेणी के सभी अस्पतालों में भोजन की उपलब्धता की जानकारी भी हलफनामे में नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में बस यह बताया गया है कि लेवल एक के अस्पतालों में हर मरीज़ को सौ रुपए में तीन का वक्त का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। हाई कोर्ट ने कहा कि कोरोना के एक मरीज़ को पौष्टिक आहार की ज़रूरत होती है। जिसमें दूध और फलों की आवश्यकता भी होती है। कोर्ट ने कहा कि यह बात बिल्कुल समझ से परे है कि महज़ सौ रुपए में मरीज़ को तीन वक्त का खाना कैसे मिल जाता है?

इसके साथ ही अलाहाबाद हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना के कारण मरने वाले मतदान कर्मियों के परिजनों को आर्थिक मुआवजा बढ़ाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपए का आर्थिक मुआवजा दिया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि पंचायत चुनाव में शिक्षकों और शिक्षामित्रों को जबरन चुनावी ड्यूटी पर लगाया गया। जिस वजह से उनकी मृत्यु हुई। लिहाज़ा उनके परिजनों को दिया जा रहा यह मुआवजा बेहद कम है। फिलहाल यूपी सरकार मृतकों के परिजनों को 35 लाख रुपए का आर्थिक मुआवजा दे रही है।