पेंशन नहीं मिलने से नाराज पूर्व सैनिक ने की जापानी पीएम की हत्या, भारत में अग्निपथ स्कीम को लेकर बढ़ी चिंता

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेवी में काम कर चुके हत्यारे की तीन साल के बाद नौकरी चली गई थी, वो बेराजगार था और उसे पेंशन भी नहीं मिल रही थी, इसी गुस्से के चलते हत्यारे ने शिंजो आबे को निशाना बनाया

Updated: Jul 10, 2022, 08:14 AM IST

नई दिल्ली। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की शुक्रवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद भारत में अग्निपथ स्कीम को लेकर एक बार फिर से सवाल उठने लगे हैं। टीएमसी, कांग्रेस समेत अन्य दलों ने इस घटना के बाद अग्निपथ योजना को लेकर चिंता जाहिर की है।

दरअसल, शिंजे आबे के हत्यारे की पहचान 41 साल के तेत्सुया यामागामी के तौर पर हुई। यामागानी जापान की नेवी में काम कर चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यामागामी की तीन साल के बाद नौकरी चली गई थी। वो बेराजगार था और उसे पेंशन भी नहीं मिल रही थी। इसी गुस्से के चलते उसने शिंजो आबे को निशाना बनाया।

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टीएमसी ने इसी आधार पर आबे की हत्या की तुलना अग्निपथ योजना से की है। पार्टी के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में प्रकाशित एक फ्रंट-पेज की स्टोरी में लिखा कहा कि आबे की हत्या एक पूर्व जापानी रक्षा कर्मियों ने की थी, जिन्हें पेंशन नहीं मिल रही थी। 

टीएमसी ने उस हत्यारे पूर्व सैनिक की तुलना अग्निपथ योजना से करते हुए कहा कि मोदी सरकार भी युवाओं को अल्पावधि के लिए रक्षा बलों में नियुक्त करना चाहती है और उन्हें चार साल बाद पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों से वंचित रखना चाहती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जापान की सेनाओं में तैनात जवानों को रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त राशि मिलती है। हालांकि, उन्हें पेंशन नहीं मिलती। 

इससे पहले कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी आबे की हत्या की तुलना अग्निपथ स्कीम से की। दोनों पार्टियों ने इस घटना पर केंद्र सरकार से सबक लेने की बात कही थी। इधर बीजेपी की तरफ से कहा गया था कि विपक्ष शिंजो आबे की हत्या पर गंदी राजनीति कर रहा है। वहीं पार्टी ने टीएमसी को भी जवाब दिया है। बीजेपी ने कहा है कि टीएमसी युवाओं को भटकाना चाहती है।