राष्ट्रपिता की विरासत पर हमला बर्दाश्त नहीं, सर्व सेवा संघ को मिले ध्वस्तीकरण नोटिस पर बरसीं प्रियंका गांधी

हम संकल्प लेते हैं कि महात्मा गांधी की विरासत पर हो रहे हर हमले के खिलाफ डटकर खड़े रहेंगे। हमारे देश के महानायकों और राष्ट्रीय विरासत पर भाजपाई हमले को देश की जनता कभी बर्दाश्त नहीं करेगी: प्रियंका गांधी

Updated: Jun 28, 2023, 04:50 PM IST

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी के सर्व सेवा संघ परिसर पर सत्ता की कुदृष्टि पड़ गई है। उत्तर रेलवे प्रशासन ने सर्व सेवा संघ परिसर में स्थित भवनों को ध्वस्त करने का नोटिस चस्पा कर दिया है। इस कार्यवाही के विरुद्ध देशभर के लोकतंत्र पसंद लोगों ने मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सरकार के इस रवैए की भर्त्सना की है।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'वाराणसी में स्थित सर्व सेवा संघ परिसर को भाजपा सरकार द्वारा खाली करने और ढहाने की कार्यवाही शुरू करना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत पर हमला है। आचार्य विनोबा भावे, डॉ राजेंद्र प्रसाद, श्री लाल बहादुर शास्त्री एवं बाबू जगजीवन राम के प्रयासों से वाराणसी में सर्व सेवा संघ की स्थापना हुई थी। इसका मकसद गांधी जी के विचारों का प्रचार-प्रसार करना था। इन्हीं महापुरुषों के नेतृत्व में यह जमीन भी खरीदी गई थी।' 

प्रियंका गांधी ने आगे लिखा है कि, 'यह भवन गांधी स्मारक निधि एवं जयप्रकाश नारायण जी द्वारा किये गये दान-संग्रह से बनवाया गया था। आज भाजपाई प्रशासन द्वारा इसे अवैध बताकर कार्यवाही शुरू करना महात्मा गांधी जी के विचारों और उनकी विरासत पर एक और हमला करने की कोशिश है। हम इस अत्यंत शर्मनाक कार्यवाही की घोर निंदा करते हैं और संकल्प लेते हैं कि महात्मा गांधी की विरासत पर हो रहे हर हमले के खिलाफ डटकर खड़े रहेंगे। हमारे देश के महानायकों और राष्ट्रीय विरासत पर भाजपाई हमले को देश की जनता कभी बर्दाश्त नहीं करेगी।'

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दरअसल, सर्व सेवा संघ ने 63 वर्ष पहले वाराणसी के राजघाट में जिस जमीन को रेलवे से खरीदा था, उसे अब रेल महकमे के अफसरों ने अवैध निर्माण घोषित कर दिया है। सेल डिड के कागजों को कूटरचित यानी फर्जी दस्तावेज करार दिया है। यानी सीधे तौर पर तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री और विनोबा भावे पर जालसाजी के आरोप लगाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं मामला कोर्ट में होने के बावजूद एकतरफा कार्रवाई करने जा रही है। 

बताया जाता है कि यह परिसर 1960 या 62 में बना होगा। रेलवे ने इसी सर्व सेवा संघ को अपने तमाम रेलवे स्टेशन पर गांधी विचार के प्रचार प्रसार के लिए, सर्वोदय बुक स्टॉल आवंटित किए थे। जो आज भी कई स्टेशनों पर मौजूद हैं। अब उसी सर्व सेवा संघ को मोदी सरकार का रेल विभाग अचानक अवैध कब्जेदार घोषित कर रहा है। उत्तर रेलवे द्वारा ध्वस्तीकरण की नोटिस ने न केवल गांधीजनों बल्कि हर लोकतंत्र पसंद व्यक्ति को हैरान कर दिया है। सवाल उठ रहा है कि 1960 में रेलवे से बैनामा ली गई जमीन अचानक अवैध कैसे हो गई?