ममता के अफसरों ने ठुकराया शाह का आदेश, दिल्ली में हाज़िरी लगाने से इनकार

केंद्रीय गृह सचिव ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी को सोमवार को तलब किया था, लेकिन राज्य सरकार ने दोनों अफ़सरों को भेजने से किया इनकार

Updated: Dec 12, 2020, 04:53 AM IST

Photo Courtesy: NE NOW
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कोलकाता/नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार के दबाव में झुकने वाली नहीं हैं, भले ही इसके लिए उन्हें मोदी सरकार से टकराव ही क्यों न मोल लेना पड़े। पिछले दो दिनों के घटनाक्रम में ममता का यही तेवर दिखाई दे रहा है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए पथराव के बाद जो स्थितियां बनी हैं, उनमें बीजेपी और तृणमूल का घमासान लगातार बढ़ने की ओर है। एक अहम घटना ये है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने गृृहमंत्री अमित शाह के विभाग से मिले निर्देश को ताक पर रखते हुए अपने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को दिल्ली में सफाई देने के लिए भेजने से इनकार कर दिया है।

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दरअसल, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पश्चिम बंगाल के दोनों अफ़सरों को सोमवार 14 दिसंबर को दोपहर सवा बारह बजे अपने दफ़्तर में तलब किया था। भल्ला की तरफ़ से लिखी गई चिट्ठी में पश्चिम बंगाल के दोनों आला अफ़सरों को राज्य में क़ानून व्यवस्था की हालत और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के क़ाफ़िले पर हुए हमले के बारे में चर्चा के लिए बुलाए जाने की बात कही गई थी। लेकिन राज्य के मुख्य सचिव आलापन बंदोपाध्याय ने जवाब में लिखी चिट्ठी में साफ़ कर दिया है कि राज्य के दोनों ही अफ़सर दिल्ली नहीं आ पाएंगे।

मुख्य सचिव ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि उन्हें यह अनुरोध करने का निर्देश मिला है कि राज्य के अफ़सर प्रस्तावित बैठक में भाग नहीं ले सकेंगे। उन्होंने पत्र में यह भी बताया है कि केंद्रीय गृह सचिव ज़ेड सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति के साथ हुई जिस घटना के संदर्भ में चर्चा करना चाहते हैं, उस बारे में और रिपोर्ट्स जुटाई जा रही हैं और राज्य सरकार इस मसले को बेहद गंभीरता से ले रही है।

मुख्य सचिव ने अपनी चिट्ठी में ये भी बताया है कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने जे पी नड्डा को मिली सुरक्षा के अनुरूप उन्हें एस्कॉर्ट वेहिकल, बुलेटप्रूफ़ कार, पायलट, सब कुछ मुहैया कराया था। रेंज के डीआईजी पूरे सुरक्षा इंतज़ाम पर नज़र रख रहे थे। उनके मातहत चार एडिशनल एसपी, आठ डीएसपी, 14 इंस्पेक्टर, 70 सब-इंस्पेक्टर/असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर, 40 रैपिड एक्शन फ़ोर्स के जवान, 259 कांस्टेबल और सहयोगी बलों के 350 जवान पूरे रूट और डायमंड हार्बर के कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा में लगाए गए थे। ये सारा बंदोबस्त ज़ेड कैटेगरी के तहत केंद्र सरकार की तरफ़ से दी जाने वाली सुरक्षा के अलावा किया गया था। उन्होंने पत्र में ये भी बताया है कि गुरुवार की घटना के संबंध में तीन केस दर्ज किए गए हैं और सात लोग गिरफ्तार भी हो चुके हैं।

पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के पत्र की भाषा से साफ़ है कि केंद्रीय गृह सचिव के आदेश पर हाज़िर नहीं होने का निर्देश उन्हें राज्य सरकार यानी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरफ़ से मिला है। इससे पहले तृणमूल के वरिष्ठ नेता और सांसद कल्याण बनर्जी कह चुके हैं कि केंद्र सरकार की तरफ़ से राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को तलब करना देश के संघीय ढाँचे और संविधान की व्यवस्था ख़िलाफ़ है। राज्य के मुख्य सचिव की तरफ से केंद्रीय गृह सचिव को भेजे गए जवाब में भी राज्य सरकार का यही रुख झलक रहा है।

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जहां ममता बनर्जी के आला अफसरों को तलब करके दबाव बनाने और केंद्र की ताकत का एहसास कराने की कोशिश की, वहीं राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी लंबी प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके कुछ ऐसा ही किया। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को न सिर्फ जमकर खरी-खोटी सुनाई, बल्कि धमकी भरे अंदाज़ में उन पर दबाव बनाने की भी कोशिश की। लेकिन मुख्य सचिव के पत्र से साफ़ ज़ाहिर है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्रीय गृह मंत्रालय या राज्यपाल के दबाव में झुकने को तैयार नहीं हैं। 

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ऐसे में देखना ये होगा कि केंद्र सरकार अब राज्यपाल धनखड़ की रिपोर्ट पर क्या फ़ैसला करती है? धनखड़ ने अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में केंद्र को भेजी अपनी रिपोर्ट का सीधे-सीधे खुलासा भले ही न किया हो, लेकिन उन्होंने अपने इरादों को छिपाया भी नहीं है। उन्होंने जिस तरह ये कहा कि अगर ममता ने अपना तौर-तरीका नहीं सुधारा तो राज्यपाल के रूप में उनका दायित्व शुरू हो जाएगा, उसे राष्ट्रपति शासन की सीधी धमकी भी माना जा सकता है। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव की चिट्ठी से साफ़ है कि ममता बनर्जी पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या जल्द ही राज्यपाल धनखड़ अपनी उस भूमिका में नज़र आएँगे, जिसका एलान वो प्रेस कॉन्फ़्रेंस बुलाकर कर चुके हैं?