हिमाचल में BJP का सूपड़ा साफ, राजस्थान में भी ढहा किला, दूसरे नंबर के लिए भी तरसी BJP

हिमाचल उपचुनाव में बजा कांग्रेस का डंका, चारों खाने चित हुई बीजेपी, राजस्थान में भी जमानत जब्त, तीसरे नंबर पर रह गई सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी

Updated: Nov 02, 2021, 11:39 AM IST

Photo Courtesy : Nationworld
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शिमला/जयपुर। देश की तीन लोकसभा सीटों और 13 राज्यों की विधानसभा सीटों के नतीजे आने लगे हैं। बीजेपी को कई राज्यों के उपचुनाव में बड़ा झटका लगा है। हिमाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया। इतना ही नहीं राजस्थान में भी बीजेपी अपनी किला बचाने में कामयाब नहीं हुई। राजस्थान में बीजेपी दोनों सीटों पर तीसरे नंबर पर रही।

हिमाचल प्रदेश में एक लोकसभा और तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया है। मंडी संसदीय सीट से कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह को 8766 वोटों से हराया। प्रतिभा सिंह पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं। 

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हिमाचल की अर्की विधानसभा सीट से कांग्रेस के संजय अवस्थी ने बीजेपी नेता रतन सिंह पाल को 3219 वोटों से हराया। इसी तरह फतेहपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार भवानी सिंह ने बीजेपी के बलदेव ठाकुर को 5789 वोटों के अंतर से हराया। वहीं जुब्बल कोटखाई सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार रोहित ठाकुर ने निर्दलीय प्रत्याशी चेतन सिंह को 6293 वोटों से हराया। यहां बीजेपी की जमानत जब्त हो गई। बीजेपी प्रत्याशी नीलम सेरेक ढाई हजार के करीब वोट ही जुटा पाए।

उधर राजस्थान में भी बीजेपी को शिकस्त का सामना करना पड़ा है। राजस्थान के दोनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों ने बंपर जीत दर्ज की है। खास बात यह है कि यहां बीजेपी अपना किला बचाने में भी नाकामयाब साबित हुई। इतना ही नहीं यहां बीजेपी उम्मीदवार दोनों सीटों पर दूसरे नहीं बल्कि तीसरे पायदान पर रहे। वल्लभनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार प्रीति गजेंद्र सिंह शक्तावत ने अपने निकटतम आरएलपी उम्मीदवार उदयलाल दांगी को 20,400 वोटों से हराया।

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वहीं धरियावद से कांग्रेस प्रत्याशी नागराज ने अपने निकटतम निर्दलीय उम्मीदवार थावरचंद को 18 हजार 725 वोटों से हराया। कांग्रेस ने इस प्रचंड जीत को अशोक गहलोत सरकार की नीतियों की जीत बताई है। कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि यह जीत दिखाती है कि अशोक गहलोत की नीतियां सफल रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का लोगों ने समर्थन नहीं किया है।