माओवादी लिंक केस में DU के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने किया बरी

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने जीएन साईंबाबा को देश के खिलाफ जंग छेड़ने की गतिविधियों में शामिल होने का दोषी ठहराया था और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।

Updated: Oct 14, 2022, 07:21 AM IST

Photo Courtesy: NDTV
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नागपुर। मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को माओवादियों से कथित संपर्क मामले में बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने उन्हें तत्काल जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। 

दरअसल, साल 2017 में  महाराष्ट्र की गढ़चिरौली की अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लोअर कोर्ट ने उन्हें माओवादियों से संबंध रखने और देश के खिलाफ जंग छेड़ने के आरोप में दोषी करार दिया था।  इस फैसले के खिलाफ साईंबाबा ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शारीरिक रूप से 90 फीसदी दिव्यांग साईबाबा को 2014 में नक्सलियों को समर्थन देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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साईंबाबा के अलावा एक पत्रकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र सहित अन्य को इस मामले में दोषी ठहराया गया था। जिला अदालत ने कोर्ट ने जीएन साईबाबा और अन्य को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था।

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस रोहित देव और जस्टिस अनिल पानसरे की खंडपीठ ने चार अन्य दोषियों की अपील को भी स्वीकार कर लिया और उन्हें बरी कर दिया। पांच में से एक की अपील की सुनवाई लंबित रहने तक मौत हो गई। पीठ ने दोषियों को तत्काल जेल से रिहा करने का निर्देश दिया, जब तक कि वे किसी अन्य मामले में आरोपी

साईंबाबा शुरू से ही आदिवासियों-जनजातियों के लिए मुखर रहे हैं। जीएन साईंबाबा शारीरिक अक्षमता के कारण चल फिर भी नहीं पाते। वे व्हीलचेयर से बंधे हैं और वर्तमान में नागपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं।